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मुख्यमंत्री से मेयरों ने मांगे अधिकार और फंड

सूबे के चार महानगरों के मेयर शुक्रवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री अम¨रदर ¨सह से मिले और नगर निगमों को आर्थिक मंदी के दौर से बाहर निकालने के लिए कुछ अधिकार और फंड मुहैया कराने की मांग की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 12:36 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 03:47 PM (IST)
मुख्यमंत्री से मेयरों ने मांगे अधिकार और फंड
मुख्यमंत्री से मेयरों ने मांगे अधिकार और फंड

जागरण संवाददाता, जालंधर : सूबे के चार महानगरों के मेयर शुक्रवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री अम¨रदर ¨सह से मिले और नगर निगमों को आर्थिक मंदी के दौर से बाहर निकालने के लिए कुछ अधिकार और फंड मुहैया कराने की मांग की। सभी मेयरों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर से कहा कि नगर निगमों में कामकाज को ढर्रे पर लाने के लिए उन्हें फैसले लेने की पावर दी जाए ताकि वह नगर निगम से संबंधित कुछ बड़े फैसले ले सकें। मेयर जगदीश राजा ने बताया कि पूरे स्टाफ की एनुअल कान्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) लिखने का अधिकार, पंजाब इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट बोर्ड से सीधा निगम को फंड मिलने की मांग और चेंज ऑफ लैंड यूज (पीएनबी) से जुड़े मामले जालंधर में ही फाइनल करने का अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। मेयर जगदीश राज राजा ने बताया कि मुख्यमंत्री से मी¨टग बहुत पॉजिटिव रही है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को दोबारा मी¨टग बुलाई गई है। इसमें मुख्य सचिव, वित्त विभाग, स्थानीय निकाय सहित अन्य सभी प्रमुख विभागों के प्रमुख सचिवों को बुलाया गया है। मेयर के मुताबिक मुख्यमंत्री ने नगर निगमों को सही ढंग से चलाने के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया है। पीआईडीबी का फंड सीधा नगर निगमों को मिले

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मुख्यमंत्री से मांग की गई कि डवलपमेंट के लिए जो फंड पंजाब इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट बोर्ड (पीआईडीबी) के जरिए आ रहा है वह डिप्टी कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी कमेटी को देने की बजाय नगर निगम को सीधा भेजा जाए। कमिश्नर के अलावा अन्य स्टाफ की एसीआर लिखने का भी हो अधिकार

कमिश्नर सहित नगर निगम के पूरे स्टाफ की एसीआर लिखने का अधिकार मेयर्स को मिलना चाहिए। फिलहाल उन्हें कमिश्नर की एसीआर लिखने का तो अधिकार तो है, पर अन्य स्टाफ की एसीआर लिखने का नहीं। इससे निगम के स्टाफ विशेषकर प्रो¨वशियल स्टाफ पर सभी तरीके से काम करने का दबाव बढ़ेगा। महीनों चंडीगढ़ में पड़ी रहती हैं सीएलयू की फाइलें

सीएम से मुलाकात के दौरान मेयर्स ने मांग की कि सीएलयू के मामलों की फाइलें चंडीगढ़ नहीं भेजीं जानी चाहिए। उनका कहना था कि चंडीगढ़ में महीनों तक फाइलें अटकी रहती हैं। इससे नगर निगमों को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है।


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