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जालंधर के 'जय-वीरू' की 30 साल पुरानी यारी में दरार, अंदरखाते चल रहा शीतयुद्ध हुआ जगजाहिर

जालंधर में जय-वीरू के नाम से प्रसिद्ध मेयर जगदीश राज राजा और विधायक राजिंदर बेरी की जोड़ी टूटने के कगार पर पहुंच गई है। विकास कार्यों को लेकर उलझे मेयर और विधायकों के शीतयुद्ध का सीधा असर अब मेयर और बेरी की जोड़ी पर पड़ रहा है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 10:42 AM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 10:42 AM (IST)
जालंधर के 'जय-वीरू' की 30 साल पुरानी यारी में दरार, अंदरखाते चल रहा शीतयुद्ध हुआ जगजाहिर
मेयर राजा और विधायक बेरी की दोस्ती करीब 30 साल पुरानी है।

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। पिछले कई सालों से शहर में जय और वीरू के नाम से प्रसिद्ध चली आ रही मेयर जगदीश राज राजा और विधायक राजिंदर बेरी की जोड़ी टूटने के कगार पर पहुंच गई है। शहर के विकास कार्यों को लेकर उलझे मेयर और विधायकों के शीतयुद्ध का सीधा असर अब मेयर और बेरी की जोड़ी पर पड़ रहा है। मेयर और बेरी की दोस्ती करीब 30 साल पुरानी है। बीते विधानसभा चुनाव से पहले दोनों में इस बात को लेकर समझौता हुआ था कि एक विधायक बनेगा तो दूसरे को मेयर बनाया जाएगा। इनके ग्रुप ने इसी समझौते के तहत बेरी की विधानसभा चुनाव जीतने तो जगदीश राजा को मेयर बनाने में मदद की थी। अब विकास कार्यों को लेकर बीते कई दिनों से दोनों के बीच तनाव बढ़ गया है। मौके की नजाकत को भांपकर विरोधियों ने भी अब अंदरखाते चल रहे शीतयुद्ध को जगजाहिर करना शुरू कर दिया है।

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अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग

कोरोना की चेन तोडऩे के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक किए गए प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। जिला प्रशासन ने राज्य सरकार की हिदायतों के बाद मिनी लाकडाउन लगा रखा है। इसके बाद से शहर के दुकानदार भड़के हुए हैं और अलग-अलग बाजारों की मार्केट एसोसिएशनों के बैनर तले सभी दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोलने को लेकर दबाव की राजनीति अख्तियार कर रखी है। बीते कुछ दिनों में कई बार दुकानें खोलने को  लेकर हुई बैठकों में सभी एसोसिएशनों का अलग-अलग राग था। सभी की एक ही दलील है कि उन्हें दुकानें खोलने की इजाजत दी जाए। हालांकि जिला प्रशासन ने दुकानदारों को राहत देते हुए सोमवार से सुबह नौ से तीन बजे तक दुकानें खोलने की अनुमति दी है, लेकिन इससे सभी मार्केट एसोसिएशनें सहमत नहीं हैं। कुछ बाजार खोलने को लेकर आदेश भी स्पष्ट नहीं है। इससे दुकानदारों में नाराजगी बढ़ी हुई है।

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अपनों का करम, अपनों का सितम

मामला कामेडियन सुगंधा मिश्रा की शादी से जुड़ा हुआ है। 26 अप्रैल को क्लब कबाना में हुई सुगंधा मिश्रा और डा. संकेत की शादी में मेहमानों को बुलाने को लेकर लंबी कवायद के बाद परिजनों ने जिला प्रशासन से मंजूरी ले ली थी। शादी में वर-वधू के पारिवारिक सदस्य ही शामिल हुए थे। बाकी सभी परिजनों, रिश्तेदारों व दोस्तों को शादी में शामिल न कर पाने को लेकर मिश्रा परिवार की तरफ से इंटरनेट पर आशीर्वाद देने की अपील की गई थी। आनन-फानन में शादी करवा कर सुगंधा को उनके पति डा. संकेत भोसले मुंबई लेकर रवाना हो गए। शादी के दौरान की एक वीडियो सुगंधा के पारिवारिक सदस्य ने ही अति उत्साह में  इंटरनेट पर वायरल कर दी। पुलिस ने वायरल वीडियो के आधार पर निर्धारित संख्या से ज्यादा भीड़ जुटाने के मामले में सुगंधा व होटल के मैनेजर के खिलाफ पर्चा दर्ज कर मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया।

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लाल परी पर लागू नहीं नियम

सरकार को मोटा राजस्व देने वाले शराब के ठेकेदारों व शराब के ठेकों पर कोरोना काल को लेकर राज्य सरकार की तरफ से लागू गाइडलाइंस का कोई असर नहीं है। जिले में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है और इसके मद्देनजर शहर में मिनी लाकडाउन लगाया गया है, लेकिन अंदरखाते सरकार के इशारे के बाद लाल परी के ठेकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने से कतरा रही है। अगर आम दुकानें तय समय से ज्यादा देरी तक खुल रही हैं तो चालान से लेकर गिरफ्तारियां तक की जा रही हैं, लेकिन शराब के ठेके रोज तय समय से ज्यादा देर तक खुलने के बाद भी पुलिस खामोश है। हाथ पर हाथ धरे बैठी है। शराब खरीदने वालों से लेकर ठेके के काङ्क्षरदे कोरोना गाइडलाइंस की परवाह किए बिना सारा खेल खेल रहे हैं। इसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि जिससे कमाई, उस पर नहीं होगी कार्रवाई।


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