नरेंद्र चंचल के मुरीद मास्टर सलीम बोले- उनको सुनकर पता लगा कि लोग उन्हें 'पापा जी' क्यों बुलाते थे
भजन सम्राट नरेंद्र चंचल के निधन से प्रदेश के संगीत जगत में एक युग का अंत हो गया है। मास्टर सलीम ने बताया कि 25 साल पहले जब वह नरेंद्र चंचल से मिले थे तो उनकी गायकी के मुरीद हो गए थे।
जालंधर, जेएनएन। भजन सम्राट नरेंद्र चंचल के निधन से प्रदेश के संगीत जगत में एक युग का अंत हो गया है। पंजाब के प्रसिद्ध पंजाबी सूफी गायक मास्टर सलीम उनकी गायकी के मुरीद थे। मास्टर सलीम ने बताया कि 25 साल पहले जब वह नरेंद्र चंचल से मिले थे तो उनकी गायकी के मुरीद हो गए थे। सलीम ने कह कि संगीत के क्षेत्र से जुड़े तमाम कलाकारों को जब मैंने चंचल जी को 'पापा जी' कहते सुना तो अजीब सा लगा, लेकिन उन्हें सुनने के बाद मेरे सवाल का जवाब मिल गया कि सभी उन्हें इस नाम से क्यों बुलाते थे।
स्वर में मिठास और एक अजीब सा आकर्षण था उनके अंदर। सलीम ने बताया कि एक कार्यक्रम में वह स्टेज के पास मौजूद था और प्रोग्राम खत्म होने के बाद खुद ब खुद मेरे कदम उनकी तरफ खिंचते चले गए। तब मैं गायकी में नया था। जब चंचल जी से मिला तो उन्होंने मुझे आटोग्राफ दिया। उसके बाद मैंने उन्हें अपने बारे में बताया। उन्होंने मेरा गीत सुना और शाबाशी दी। इसके बाद मेरा उत्साह काफी बढ़ा। एक साल बाद जब मैं दोबारा चंचल जी से मिला तो उन्होंने मुझे बुलाकर कहा मैं माता के भजन भी गाया करूं। मैंने अपना पहला भजन भी चंचल जी से ही सीखा था। यह माता का आशीर्वाद ही था कि चंचल जी ने सफलता का आसमान छुआ।
मास्टर सलीम ने कहा कि मुझे दर्जनों बार उनके साथ स्टेज शेयर करने का मौका किया। कभी मैं उनसे पहले स्टेज पर होता था तो कभी उनके बाद, लेकिन हमेशा मेरे अंदर एक ही बात रहती थी कि मैं चंचल जी के साथ स्टेज शेयर कर रहा हूं। उन्होंने हमेशा मेरी गायकी की सराहना की और कई बार मुझे गायकी की बारीकियां की बताईं। मुझे लगता है कि चंचल जी अपने आप में संगीत की चलती-फिरती यूनिवर्सिटी थे।
खास तौर पर माता के जागरण में भजन गाते समय उनका अंदाज ही निराला होता था। हमने उनसे काफी कुछ सीखा। वह हमेशा नए कलाकारों को सिखाने में भरोसा रखते थे। उनके करीब जाकर कभी इस बात का एहसास नहीं होता था कि हम किसी बहुत बड़े कलाकार से मिल रहे हैं। उनके बारे में जितना लिखा जाए कम है।