शहीदों के परिजनों को नहीं दी जलियांवाला बाग में जाने की अनुमति, कैप्टन सरकार के खिलाफ फूटा गुस्सा
जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों के परिवारिक सदस्य मंगलवार को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे लेकिन उन्हें जलियांवाला बाग के बाहर ही रोक दिया गया। इस दौरान पुलिस और परिवारिक सदस्यों में थोड़ी देर बहसबाजी भी हुई।
अमृतसर, जेएनएन। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों के परिवारिक सदस्य मंगलवार को जलियांवाला बाग में श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें बाहर ही रोक दिया गया। इस दौरान पुलिस और शहीदों के परिवारिक सदस्यों के बीच थोड़ी देर बहसबाजी भी हुई। पुलिस अधिकारियों ने डीसीपी लॉ एंड आर्डर परमिंदर सिंह पंडाल से भी फोन पर बातचीत की लेकिन उन्होंने साफ तौर पर अंदर जाने से इंकार कर दिया।
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इसके बाद पारिवारिक सदस्य जलियांवाला बाग के बाहर ही धरना लगा कर बैठ गए और केंद्र व पंजाब सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर जलियांवाला बाग शहीद परिवार समिति के प्रधान महेश बहल ने कहा कि सरकार के नुमाइंदों ने जनरल डायर की भूमिका निभाई है। हम सिर्फ 10 मिनट के लिए अंदर जाकर अपने परिवार के सदस्यों को श्रद्धांजलि देना चाहते थे लेकिन उन्हें अंदर जाने की आज्ञा न देकर सरकार ने उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है।
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उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने शहीदों का अपमान किया है, जिसे वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने कोरोना का बहाना बनाकर उन्हें जलियांवाला बाग के अंदर जाने की आज्ञा नहीं दी लेकिन सरकार के नुमाइंदे रैलियां करवा रहे हैं, वहां कोई भी कोरोना का खतरा नहीं है।
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