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Happy Mother's Day 2021: अस्पताल में मरीज और घर में बेटा, जालंधर की नर्सिंग सिस्टर दलबीर कौर दोनों जगह दी कोरोना को मात

कोरोना काल में नर्सो की चुनौतियां बढ़ गई हैं। ये दो मोर्चो पर लड़ाई लड़ रही हैं। अस्पताल में मरीजों और घर में बच्चों की बीमारी ठीक करने की चुनौती रहती है। कुछ ऐसी ही स्थिति शहीद बाबू लाभ ¨सह सिविल अस्पताल में तैनात नर्सिग सिस्टर दलबीर कौर की है।

By Edited By: Published: Sun, 09 May 2021 06:19 AM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 11:33 AM (IST)
Happy Mother's Day 2021: अस्पताल में मरीज और घर में बेटा, जालंधर की नर्सिंग सिस्टर दलबीर कौर दोनों जगह दी कोरोना को मात
सिविल अस्पताल में तैनात नर्सिंग सिस्टर दलबीर कौर अपने बेटों के साथ।

जालंधर, [जगदीश कुमार]। कोरोना काल में नर्सों की चुनौतियां बढ़ गई हैं। ये दो मोर्चो पर लड़ाई लड़ रही हैं। अस्पताल में मरीजों और घर में बच्चों की बीमारी ठीक करने की चुनौती रहती है। कुछ ऐसी ही स्थिति शहीद बाबू लाभ सिंह सिविल अस्पताल में तैनात नर्सिंग सिस्टर दलबीर कौर की है। इन्होंने अस्पताल में मरीजों और घर में जवान बेटे की सेवा कर कोरोना को हराने में कामयाबी हासिल की हैं।

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दलबीर कौर कहती हैं कि पिछले तकरीबन एक साल से सिविल अस्पताल के हाई रिस्क ट्रोमा सेंटर में कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हैं। इस दौरान लक्ष्मी बाई डेंटल कालेज पटियाला से उनका बेटा अनमोल कुमार घर आया। उसे बुखार और गला खराब होने की शिकायत हुई। 17 मार्च को उसकी जांच करवाई तो कोरोना पाजिटिव होने की पुष्टि हुई। इसके बावजूद न वो घबराई और न बेटा। कोरोना के चलते सेहत विभाग ने सारे स्टाफ की छुट्टियां बंद कर रखी हैं। अस्पताल प्रशासन को बेटे को कोरोना होने की सूचना दी तो पांच दिन के लिए उन्हें होम क्वारंटाइन कर दिया गया। इस दौरान बिना कोरोना के डर से बेटे को दवाइयां दी और उसका ख्याल रखा। मैंने पांच दिन बाद अपना टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट नेगेटिव आई। ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने उन्हें दोबारा ड्यूटी पर बुला लिया।

चुनौतियां अब बढ़ गईं

कोरोना काल में मरीजों को देखना उनकी ड्यूटी और पहला कर्तव्य था, दूसरी ओर मां की ममता थी। उनके पति डाक्टर हैं, बावजूद बेटे को मां के बिना चैन नहीं आता था। एक तरफ अस्पताल में मां की तरह कोरोना मरीजों की देखभाल और इलाज करती और दूसरी तरफ अगल कमरे में आइसोलेट बेटा अनमोल का ध्यान रखती। बेटे को खुद खाना खिलाना, दवा खिलाना और उसके साथ घंटों बातें कर उसे तनाव मुक्त रखती थी। कई बार तो देर रात तक जागना पड़ता था और सुबह ड्यूटी भी करती थी। बेटे पर दवाइयों से ज्यादा मां के प्यार और दुलार का असर हुआ, जिस कारण 17 दिन का क्वारंटाइन पीरियड पूरा करते ही बेटा ठीक हो गया। कुछ दिन बाद ही उनके पति डा. सतपाल भी कोरोना पाजिटिव आ गए। इसके बावजूद बिना किसी तनाव के कोरोना को हराने में कामयाबी हासिल की।

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