नार्वे में सिखों की बड़ी जीत, पगड़ी को मिली मान्यता, मंत्रियों ने गुरुद्वारे में पहुंच खुद दी खुशखबरी
नार्वे में सिखों के लिए बड़ी खुशखबरी आई। यह खुशखबरी वहां के मंत्रियों ने खुद गुरुद्वारा साहिब पहुंचकर दी। कहा कि अब सिखों को पासपोर्ट लाइसेंस और पहचान पत्र के फोटो के लिए पगड़ी उतारने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए सिख छह साल से संघर्ष कर रहे थे।
जेएनएन, कपूरथला। नार्वे में सिख कौम ने बड़ी जीत हासिल की है। छह साल के संघर्ष के बाद नार्वे सरकार ने वहां पगड़ी को मान्यता दे दी है। सिखों को अब नार्वे में पासपोर्ट, लाइसेंस और अन्य पहचान पत्र के लिए पगड़ी उतार कर फोटो खिंचवाने की जरूरत नहीं होगी। पगड़ी के साथ फोटो अब मान्य होंगे। इसे 19 अक्टूबर को कानून बना दिया जाएगा।
नार्वे की कानून मंत्री मोनिका मैलूद, संस्कृति मंत्री आबिद राजा और बाल सुरक्षा मंत्री शैल इगोलफ रुपसताद ने ओस्लो के गुरुद्वारा साहिब पहुंचकर सिख संगत को यह खुशखबरी दी। नार्वे में होटल चेन के मालिक कपूरथला के रहने वाले मुख्तियार सिंह पड्डा ने बताया कि दिल्ली के रहने वाले इंजीनियर सुमित सिंह पटपटिया, मोगा की प्रभलीन कौर और अमरिंदरपाल सिंह ने सिख कौम के लिए छह साल सम्मान की लड़ाई लड़ी है। ये लोग सरकार को समझाने में जुटे थे कि दस्तार सिख कौम का गौरव है। उनकी वेशभूषा की धरोहर है। इसे सिर पर सजाना हर सिख का अधिकार है।
नार्वे सरकार के मंत्रियों ने कई देशों में दस्तार का लेकर स्टडी की। यह पहली बार हुआ है जब नार्वे सरकार के मंत्रियों ने गुरुघर में आकर संगत को उनकी मांग को मान्यता दी हो। सुमित सिंह पटपटिया व उनकी टीम, गुरमेल सिंह बैंस, मलकीत सिंह और ओस्लो गुरुद्वारा के प्रधान परमजीत सिंह ने इसके लिए नार्वे सरकार का आभार जताया है।
बता दें, सिखों के लिए पगड़ी आस्था के साथ-साथ उनके सम्मान का प्रतीक है। जिन्होंने अमृतधारी सिखों के लिए पांच ककार केश, कड़ा, कंघा, कच्छा, कृपाण धारण करना होता है। सिखों को अपने बाल नहीं कटाने होते हैं।उन बालों को उन्हेंं पगड़ी से ढंकना होता है। विश्व के लगभग सभी देशों में सिखों की पगड़ी को मान्यता मिल चुकी है। अब नार्वे सरकार ने भी सिखों का सम्मान किया है। विभिन्न सिख संगठनों ने नार्वे सरकार केे इस फैसले का स्वागत किया है।