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जालंधर में लायलपुर खालसा कालेज ने आनलाइन स्लोगन लेखन प्रतियोगिता करवाई, बीटेक की ईशा प्रथम

जालंधर में लायलपुर खालसा कालेज के टेक्निकल कैंपस की तरफ से अंतरर्राष्ट्रीय नशामुक्ति दिवस के अवसर पर आनलाइन स्लोगन लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान विभिन्न शाखाओं के सभी छात्रों से आनलाइन प्रविष्टियां आमंत्रित की गईं।

By Vinay KumarEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 02:44 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 02:44 PM (IST)
जालंधर में लायलपुर खालसा कालेज ने आनलाइन स्लोगन लेखन प्रतियोगिता करवाई, बीटेक की ईशा प्रथम
बीटेक सीई छठे सेमेस्टर की ईशा की ओर से बनाया गया स्लोगन।

जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर में लायलपुर खालसा कालेज के टेक्निकल कैंपस की तरफ से अंतरर्राष्ट्रीय नशामुक्ति दिवस के अवसर पर आनलाइन स्लोगन लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ छात्रों के रचनात्मक पक्ष को उत्तेजित करने ही इस प्रतियोगिता का उद्देश्य था। जिसमें विद्यार्थियों की तरफ से नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ अपने संदेश साझा करने के लिए आकर्षक स्लोगन प्रस्तुत किए। विभिन्न शाखाओं के सभी छात्रों से आनलाइन प्रविष्टियां आमंत्रित की गईं। बहुत सारे छात्रों ने गहरी रुचि दिखाई, जैसा कि प्राप्त प्रविष्टियों की संख्या से स्पष्ट था। तीन विजेताओं को चुना गया और परिणाम साझा किए गए।

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बीटेक सीई छठे सेमेस्टर की ईशा ने किसे एक का नशा छुड़ाओ सापे परिवार के जीवनदान का पुण्य कमाओ के स्लोगन के साथ पहला पुरस्कार प्राप्त किया। इसी तरह से दूसरा पुरस्कार डिप्लोमा सीएसई चौथे सेमेस्टर की छात्रा रैंसी ने जीता और तीसरा पुरस्कार डिप्लोमा सीएसई चौथे सेमेस्टर से युवराज सिंह और बीटेक सीएसई दूसरे सेमेस्टर से वंदना पाल ने संयुक्त रूप से जीता। अंत में विजेताओं को सम्मानित किया गया और उन्हें ई-सर्टिफिकेट भी दिये गए। शिक्षकों ने घटनाओं प्रति जागरूकता पैदा करने में मदद की और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के महत्वपूर्ण मामले पर बातचीत की।

केसीएल ग्रुप के डायरेक्टर सुखबीर सिंह चट्ठा, डिप्टी डायरेक्टर डा. आरएस देयोल ने बेहतरीन स्लोगन लिख कर जागरूकता का संदेश फैलाने वाले विद्यार्थियों की प्रतिभा को सराहा। उन्होंने सभी को इस तरह से सामाज में जागरूकता के लिए अपनी दायित्व को निभाते रहने के लिए अपील की। क्योंकि जागरूकता के जरिये ही इस कुरीति को धीरे-धीरे कम करके खत्म किया जा सकता है।


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