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Achievement: एलपीयू के छात्र सुमंत को मिली 1.3 करोड़ की स्कॉलरशिप, ऑस्ट्रेलिया में करेंगे पीएचडी

सुमंत ऑस्ट्रेलिया में टमाटर को संक्रमित करने वाली फफूंद फ्यूजेरियम विल्ट के विरुद्ध टमाटर को पूरी तरह से प्रतिरोधी बनाने पर रिसर्च करेंगे।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 04:41 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 04:41 PM (IST)
Achievement: एलपीयू के छात्र सुमंत को मिली 1.3 करोड़ की स्कॉलरशिप, ऑस्ट्रेलिया में करेंगे पीएचडी
Achievement: एलपीयू के छात्र सुमंत को मिली 1.3 करोड़ की स्कॉलरशिप, ऑस्ट्रेलिया में करेंगे पीएचडी

जालंधर, जेएनएन। एलपीयू में एमएससी जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग एग्रीकल्चर कर रहे सुमंत बिंदल को अॉस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) की तरफ से पीएचडी के लिए 1.3 करोड़ की स्काॅलरशिप मिली है। एएनयू में पीएचडी कार्यक्रम 28 सितंबर से शुरू होगा और सुमंत के रिसर्च का विषय टमाटर में फ्यूजेरियम विल्ट के खिलाफ प्रतिरोधी जीन द्वारा सक्रिय मार्गों की पहचान करना होगा। उनकी रिसर्च इस बात पर ध्यान केंद्रित करेगी कि दुनिया भर में टमाटर को संक्रमित करने वाली फफूंद फ्यूजेरियम विल्ट के विरुद्ध टमाटर को पूरी तरह से प्रतिरोधी कैसे बनाया जाए।

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एलपीयू के चांसलर अशोक मित्तल ने बताया कि सुमंत एलपीयू के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में से एक है। विश्व के प्रमुख रिसर्च विश्वविद्यालयों में से एक में उसे अध्ययन करने का अवसर मिलना सभी के लिए बहुत गर्व की बात है। यूनिवर्सिटी के 1000 एकड़ के फार्मलैंड में कृषि विद्यार्थियों के लिए रिसर्च करने के बहुत सारे अवसर उपलब्ध हैं।

छात्र सुमंत बिंदल ने कहा कि वह यह छात्रवृत्ति प्राप्त करने पर बहुत उत्साहित हैं। एएनयू दुनिया के प्रमुख रिसर्च संस्थानों में से एक है। यहां से पीएचडी करना एक सपना पूरा करने समान है। सुमंत ने इस उपलब्धि के लिए फैकल्टी मेंबर्स का आभार जताया। उन्होंने कहा कि सही शिक्षा और गाइडेंस की बदौलत ही यह मुमकिन हो सका है। उन्होंने कहा कि विदेश में रिसर्च के बाद वे विदेश में सेटल होने के बजाय भारत वापस आकर अपनी रिसर्च का बेहतरीन उपयोग करके देशवासियों की सेवा करेंगे।

ताईवान में इनटर्नशिप का अवसर भी मिला

गत वर्ष एमएससी के दूसरे वर्ष में रहते हुए सुमंत को ताईवान में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध वर्ल्ड वेजिटेबल सेंटरों में इंटर्न के रूप में कार्य करने का अवसर भी मिल चुका है। यह ताइवान सरकार की ओर से पूरी तरह से फंडेड था। सुमंत तब दुनिया भर के उन 15 मास्टर्स के विद्यार्थियों में से एक थे, जिन्हें इस प्रतिष्ठित ताइवानी फैलोशिप के लिए चुना गया था।

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