LPU के प्रोफेसर का कमाल, लीची के अर्क से बनाया ईको फ्रेंडली पेंट और प्राइमर Jalandhar News
प्रो. द्वारिका प्रसाद ने बताया कि उनके द्वारा तैयार लीची के पेंट की कीमत बाजार में उपलब्ध केमिकल युक्त पेंट की तुलना में 15 से 20 फीसद कम होगी।
जासं, जालंधर। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सीटी के प्रो. द्वारिका प्रसाद ने लीची के छिलकों और बीजों का इस्तेमाल करके ईको-फ्रेंडली ग्रीन पेंट और प्राइमर तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। वह एलपीयू स्कूल ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग और फिजिकल साइंस में कार्यरत हैं। उन्होंने सिंथेटिक पेंट से जुड़े कैंसर के खतरे को देखते हुए सौ फीसद प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल पेंट और प्राइमर बनाया है।
एलपीयू के प्रो. द्वारिका प्रसाद लैब में लीची के छिलकों और बीजों से प्राकृतिक रूप से तैयार पेंट दिखाते हुए।
देहरादून निवासी प्रो. द्वारिका प्रसाद ने बताया कि उत्तराखंड में हर जगह लीची और लीची के बीजों का कचरा देख उन्होंने इस पर रिसर्च की और ईको फ्रेंडली ग्रीन पेंट व प्राइमर तैयार किया। प्रो. द्वारिका ने बताया कि हरे रंग की प्रक्रिया धूप में लीची के छिलके और बीजों को सुखाने के साथ शुरू होती है। सबसे पहले अर्क का पाउडर बनाया जाता है। अंत में बेहतर और टिकाऊ पेंट प्राप्त करने के लिए इसे प्रोसेस्ड किया जाता है। इस पेंट का उत्पादन आसान है क्योंकि लीची हर भारतीय घर में सबसे अधिक खपत होने वाले फलों में से एक है और इसका वेस्ट मटीरियल भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसकी डिमांड को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इसकी कीमत केमिकल युक्त पेंट से 15 से 20 प्रतिशत कम होगी।
यूं आया ईको फ्रेंडली पेंट बनाने का आइडिया
प्रो. द्वारिका प्रसाद ने कहा कि कि आजकल सभी पेंट सिंथेटिक हैं जिनमें वोलाटाइल आर्गनिक कंपाउंड (वीओसी) और सीसा होता है जो अस्थमा, मेसोथेलियोमा, कैंसर और विभिन्न त्वचा रोगों जैसे गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके अलावा यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हैं। इसी कारण उन्हें ईको फ्रेंडली पेंट व प्राइमर बनाने का आइडिया आया।