चौक पर लाउड स्पीकर व बल्ब लगा हुआ करता था चुनाव प्रचार : चाचा अमर सिंह
पहले कभी चुनावों में लोग इतने जागरूक नहीं होते थे और न ही इतने वोटर होते थे।
दीपक कुमार, करतारपुर
पहले कभी चुनावों में लोग इतने जागरूक नहीं होते थे और न ही इतने वोटर होते थे। गांव के गणमान्य लोगों के बोलने मात्र से अपनी वोट उसी के पक्ष में दे देते थे। अब तो वोटर जागरूक हो चुका है। सब कुछ बदल चुका है। यह बात करतारपुर निवासी 101 वर्षीय अमर सिंह चाहल पुत्र चौधरी राम दित्ता ने चुनावों संबंधी जुड़ी पुरानी यादें दैनिक जागरण से साझा करते हुए कही।
अमर सिंह जिन्हें लोग चाचा अमर सिंह के नाम से पुकारते हैं, ने 1951 में पहली बार विधानसभा चुनाव में वोट का इस्तेमाल किया। उस वक्त अकाली प्रत्याशी ज्ञानी करतार सिंह व कांग्रेस के गुरदयाल सिंह नुस्सी के मध्य मुकाबला हुआ था।
उन्होंने बताया कि पहले चुनावों संबंधी कैंपेन मुहल्ले में एक लाउड स्पीकर व एक बल्ब लगाकर होती थी। लोग जमीन पर बैठकर नेताओं का भाषण सुनते थे। अब जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ कैंपेन के तरीके भी बदल गए। कैंपेन रौला रप्पा बनकर रह गई है। तब पैसों की बर्बादी नहीं होती थी और अब तो करोड़ों रुपये एक-एक उम्मीदवार के लग रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ इंग्लैंड के सदस्य रहे चाचा अमर सिंह ने कहा कि विदेशों की तरह टीबी पर प्रत्याशी अपना प्रचार करें और शांतिपूर्वक डिबेट होनी चाहिए और अपनी बात रखें। अब के चुनाव तो जनता को परेशानी में डालने वाले बन चुके हैं। शांति की जगह अशांति ने रूप धारण किया हुआ है। उन्होंने अपील करते कहा कि चुनाव प्रचार में करोड़ों रुपये खर्च करने की बजाय उसे देश की तरक्की में लगाएं।