विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक दलों के लिए लिटमस टेस्ट साबित होंगे लोकल बाडी पोल्स
स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे पंजाब में राजनीतिक हवा का रुख भी बता देंगे। नतीजे जमीनी स्तर पर राजनीतिक पार्टियों की पकड़ को भी सार्वजनिक कर डालेंगे। इसी वजह से सभी पार्टियां इन चुनावों में पूरा जोर लगा रही हैं।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले होने जा रहे स्थानीय निकाय चुनाव प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों के लिए लिटमस टेस्ट साबित होंगे। लंबे समय बाद गठबंधन से अलग हुए भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल बादल सहित पंजाब की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टियों का प्रदर्शन कम से कम पंजाब में उनका तय कर देगा। राज्य में सत्तासीन कांग्रेस के लिए अपनी छवि को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है। दूसरी तरफ, तमाम विपक्षी पार्टियों के लिए अपने आप को साबित करना भी युद्ध जीतने के बराबर रहेगा।
सबसे दिलचस्प यह देखना रहेगा कि भाजपा और अकाली दल नई जमीनी हकीकत से किस प्रकार सामन्जस्य बिठा पाते हैं। पंजाब में आधार बनाने की लड़ाई लड़ रही आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने चुनाव चिन्ह पर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी अपने ही चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
नतीते तय करेंगे सियासी हवा का रुख
कुछ ही महीनों बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो जाएगी। उससे ठीक पहले मिलने वाले स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे प्रदेश में राजनीतिक हवा का रुख भी बता देंगे। नतीजे जमीनी स्तर पर राजनीतिक पार्टियों की पकड़ को भी सार्वजनिक कर डालेंगे। यही वजह है कि कांग्रेस से लेकर विपक्ष की तमाम पार्टियों की तरफ से स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी जमीनी स्तर पर की जा रही है। हलका इंचार्जों की नियुक्ति की जा रही है। प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों पर दिल्ली में जारी किसान आंदोलन कैसा असर दिखाएगा, इसका जवाब तो स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों में ही मिल सकेगा।