कोरोना की दहशत से जा रहे होते तो बुकिग न होती
बेहद कम संख्या में संचालित की जा रही ट्रेनों में महीने भर लंबी बुकिग फुल होना तो सामान्य है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
बेहद कम संख्या में संचालित की जा रही ट्रेनों में महीने भर लंबी बुकिग फुल होना तो सामान्य है। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के अलावा जो ट्रेनें जम्मू अथवा राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की तरफ संचालित की जा रही हैं उन सभी में ही करंट की बुकिग नहीं मिल पा रही है। होली के बाद अमूमन ट्रेनों में भारी रश हो जाता है और लंबे समय तक ट्रेनों की बुकिग फुल ही रहती है। हालांकि इसे कोरोना की दहशत की वजह से हो रहे पलायन के साथ जोड़ा जाना तर्कसंगत नहीं है। सिटी रेलवे स्टेशन पर अपने गृह राज्यों को लौट रहे यात्रियों के साथ दैनिक जागरण ने बातचीत की ताकि पलायन की अफवाहों की सच्चाई सामने लाई जा सके। बिहार जाने वाले यात्रियों के समूह में शामिल बालक राम ने कहा कि लंबे समय से घर नहीं गए थे। इस वजह से घर जा रहे हैं कुछ दिन घर पर रहने के बाद फिर से वापस पंजाब लौट आएंगे। उन्होंने कहा कि बिना काम के तो रोटी चलाना मुश्किल है। कोरोना के डर से काम छोड़कर नहीं जा रहे हैं। राम प्रसाद यादव ने कहा कि कोरोना से बचाव हर जगह ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से घर नहीं लौट रहे हैं, बल्कि घर पर जरूरी काम होने की वजह से ही जाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना की दहशत में अचानक जा रहे होते तो ट्रेन में उनकी बुकिग न होती। गुरविदर ने कहा कि बिहार में एक पारिवारिक फंक्शन में भाग लेने के लिए ही वह ट्रेन में सवार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि बुकिग तो काफी दिन पहले ही करवा रखी थी। संक्रमण के डर की वजह से नहीं लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ही दिन में वापस भी लौट आएंगे।
बिहार जा रहे कार्तिक ने कहा कि पिछले वर्ष जैसे हालात नहीं हैं। फैक्ट्रियां भी चल रही हैं और काम भी मिल रहा है। वे कोरोना के डर से वापस नहीं लौट रहे हैं, परिवार से मिलने के तुरंत बाद वापस भी लौट आना है और उसके लिए भी बुकिग करा रखी है।