कोई ट्रेन रोको, अंदर मेरे बच्चे हैं...ऑटोमेटिक गेट बंद होने से शताब्दी में नहीं चढ़ पाए यात्री ने लगाई गुहार
जालंधर रेलवे स्टेशन पर उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब अमृतसर जा रहा एक यात्री ट्रेन के ऑटोमेटिक गेट बंद होने के कारण उसमें नहीं चढ़ पाया।
जासं, जालंधर। स्टेशन पर एक यात्री लगातार चिल्ला रहा था। कोई तो ट्रेन रोको, अंदर मेरे बच्चे हैं। दरअसल, जालंधर रेलवे स्टेशन पर उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब दिल्ली से अमृतसर जा रहे गुरप्रीत सिंह शताब्दी के ऑटोमेटिक गेट बंद होने के कारण ट्रेन में नहीं चढ़ पाए और गाड़ी चल निकली। वह लगातार दरवाजे पर हाथ मारकर उसे खोलने की गुहार लगाते रहे पर दरवाजे नहीं खुले। फिर, किसी ने गुरप्रीत को गार्ड का नंबर दिया और उन्होंने उस पर फोन करके आपबीती बताई। आरपीएफ के जवानों ने भी ट्रेन के गार्ड को सूचना दी। इसके बाद कुछ दूरी पर ट्रेन को रोका गया और गुरप्रीत ट्रेन में सवार होकर अपने परिजनों से जा मिले।
दरअसल, वीरवार दोपहर को शताब्दी एक्सप्रेस (12031) प्लेटफॉर्म नंबर एक पर पहुंची। तभी दिल्ली से अमृतसर जा रहे गुरप्रीत सिंह ट्रेन रुकने पर फोन सुनते-सुनते नीचे उतर गए। कुछ देर बाद ट्रेन के ऑटोमैटिक दरवाजे बंद हो गए और वह चल पड़ी। गुरप्रीत बाहर ही रह गए। गुरप्रीत लगातार ट्रेन के दरवाजे पर हाथ मारते हुए किसी को अंदर से दरवाजा खोलने के लिए कहते रहे लेकिन ट्रेन रफ्तार पकड़ती जा रही थी। तभी किसी ने उन्हें गार्ड का नंबर दिया और कहा कि उसे फोन करें तभी ट्रेन रुक सकती है। इसी बीच आरपीएफ के एएसआइ अनिल कुमार ने उनकी मदद की। फिर, ट्रेन का अंतिम डिब्बा स्टेशन सुपरिंटेंडेंट के दफ्तर के सामने पहुंच कर रुका। गार्ड ने तुरंत गुरप्रीत को अपने ही कैबिन में बिठा लिया और ट्रेन आगे रवाना हो गई।
आपातकाल में अंदर से खुल सकता है दरवाजा
तेजस कोच के ऑटोमैटिक दरवाजों का कंट्रोल ट्रेन के गार्ड और ड्राइवर दोनों के पास रहता है। इस कोच के दरवाजों के अंदर की तरफ एक वाल्व भी है जिसे परेशानी की सूरत में खोला जा सकता है। यह वाल्व केवल अंदर से ही खोला जा सकता है।
शताब्दी मे लगते हैं तेजस के ऑटोमैटिक कोच
बता दें कि शताब्दी एक्सप्रेस में प्रत्येक वीरवार को तेजस कोच लगते हैं। इसमें ऑटोमेटिक दरवाजे हैं जो ट्रेन के रुकते ही खुलते हैं और चलते ही बंद हो जाते हैं। यह कोच 6 जून तक ट्रायल बेस पर लगाए जा रहे हैं। स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही एन्क्वायरी से निरंतर अनाउंसमेंट भी हो रही थी कि कोई भी व्यक्ति जो अपने रिश्तेदारों को चढ़ाने आए हैं, वे ट्रेन के अंदर न जाए। ट्रेन के ऑटोमेटिक दरवाजे हैं।
तेजस कोच देखने अंदर गया यात्री भी फंसा, पहुंचा ब्यास
तेजस कोच की अंदर से लुक देखने गया यात्री जगदीश भी ऑटोमैटिक दरवाजे बंद होने से फंस गया। उसने अहमदाबाद जाना था, लेकिन ट्रेन में फंसने के कारण ब्यास पहुंच गया। उसका परिवार स्टेशन पर ही खड़ा था और ट्रेन आने को अभी डेढ़ घंटा बाकी था। जगदीश के पास ही उनकी टिकटें भी थी। ऐसे में परिवार ने फोन से टिकट की फोटो मंगवाई और ट्रेन से अहमदाबाद रवाना हुए।
जालंधर स्टेशन पर शताब्दी के तेजस कोचों को अंदर से देखने के चक्कर में जगदीश नाम का यात्री ट्रेन के अंदर ही रह गए गया। इसी बीच चिंता की हालत में स्टेशन पर खड़े उनके परिवार के सदस्य।
इतिहास का हिस्सा बन जाएगी चेन पुलिंग
अगर रेलवे के सूत्रों की मानें तो आने वाले समय में चेन पुलिंग करना इतिहास की बात बन जाएगी। यानी कोई यात्री जब चाहे तब चेन पुल करके ट्रेन नहीं रोक पाएगा। सिर्फ गार्ड और ड्राइवर ही ट्रेन रोक सकेंगे। इसलिए हर कोच में उनके मोबाइल नंबर लिखे होंगे। वहीं, हर तीन डिब्बों के बीच रेलवे का एक कर्मचारी भी तैनात रहेगा।
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