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सवा साल बिना बिजली कनेक्शन के भी तीन करोड़ बिल, कठिन समय से गुजर रही जालंधर में लेदर इंडस्ट्री

देशों में कोविड-19 के चलते बाजार बंद है। इसका सीधा असर महानगर की लेदर इंडस्ट्री के ऊपर पड़ रहा है। मौजूदा समय में महानगर की लेदर इंडस्ट्री उत्पादन को कम कर चुकी है और यूरोप समेत दुनिया के अन्य देशों के बाजार खुलने का इंतजार बेसब्री से हो रहा है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 03:33 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 03:33 PM (IST)
सवा साल बिना बिजली कनेक्शन के भी तीन करोड़ बिल, कठिन समय से गुजर रही जालंधर में लेदर इंडस्ट्री
कोविड-19 के कारण कठिन समय से गुजर रही जालंधर में लेदर इंडस्ट्री।

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। लेदर जीवन यापन के लिए अति आवश्यक एवं जरूरी श्रेणी में नहीं आता है। इस वजह से कोविड-19 के काल में लेदर से संबंधित वस्तुओं की खरीद बुरी तरह से प्रभावित है। देश के भीतर लेदर से तैयार होने वाले उत्पाद की खपत इतनी ज्यादा नहीं है और समूची लेदर इंडस्ट्री अधिकतर एक्सपोर्ट पर ही निर्भर करती है। यूरोप समेत अन्य देशों में कोविड-19 के चलते बाजार बंद है। इसका सीधा असर महानगर की लेदर इंडस्ट्री के ऊपर पड़ रहा है। मौजूदा समय में महानगर की लेदर इंडस्ट्री उत्पादन को कम कर चुकी है और यूरोप समेत दुनिया के अन्य देशों के बाजार खुलने का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है। जालंधर की लेदर इंडस्ट्री की मौजूदा स्थिति जानने के लिए दैनिक जागरण में लेदर व्यवसायियों से बातचीत की।

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पंजाब लेदर फेडरेशन के अध्यक्ष हीरालाल वर्मा ने कहा कि कोविड-19 से ठीक पहले महानगर की लेदर इंडस्ट्री अदालती आदेशों के चलते लगभग 16 माह तक बंद पड़ी रही। बिजली के कनेक्शन भी काट दिए गए। बावजूद इसके फिक्सड चार्जेस लेदर कांप्लेक्स के लेदर व्यवसायियों को लगभग तीन करोड़ रुपये बिजली बिल के तौर पर अदा करने पड़े। 16 महीने में मशीनें खराब हो गई, जिन्हें दोबारा चालू करने को लाखों खर्च करने पड़े। उन्होंने कहा कि पीएसआइईसी प्रत्येक लेदर इकाई से मेंटेनेंस चार्ज वसूलती है, लेकिन जर्जर सड़कों के हालात यह है कि किसी विदेशी खरीदार को बुलाने से भी डर लगता है। उन्होंने कहा कि कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता न होने के चलते कई उद्योगपतियों को कनेक्शन नहीं मिल सका, लेकिन उनसे नॉन कंस्ट्रक्शन चार्जेस वसूलने की प्रक्रिया चालू कर दी गई। उन्होंने कहा कि फुटवियर डिजाइन इंस्टीट्यूट की मांग की जा रही है। वह भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। मौजूदा समय में कोविड-19 के चलते लॉक डाउन की स्थिति है और लेदर इंडस्ट्री की हालत बेहद खराब हो चुकी है। नहीं होटल नहीं मिल रहे हैं और पुरानी पेमेंट भी नहीं मिल रही है।

लेदर व्यवसाई दीपक चावला ने कहा कि लेदर इंडस्ट्री मौजूदा समय में बेहद कठिन दौर से गुजर रही है। लेदर की देश के भीतर खपत बेहद कम है। इस वजह से लेदर इंडस्ट्री मुख्यता एक्सपोर्ट पर ही निर्भर करती है, जो बंद पड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि जब यूरोपीय देशों में स्थित बाजार खुल जाएंगे तो उसके तीन महीने बाद जालंधर की लेदर इंडस्ट्री को काम मिलना शुरू होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में तो रा मटेरियल की खरीद तक करनी भी संभव नहीं हो पा रही है, क्योंकि लेदर इंडस्ट्री का रॉ मैटेरियल बिना इंस्पेक्शन के खरीदा ही नहीं जा सकता। विभिन्न प्रदेशों की तरफ से कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी बना दी गई है और उसके अलावा परिवहन सेवाएं भी बाधित हैं। बाजार बंद हैं। इस वजह से लेदर इंडस्ट्री को पुरानी पेमेंट मिल नहीं पा रही है और नए ऑर्डर भी प्राप्त नहीं हो रहे हैं।

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