दिल्ली से खाली हाथ लौटे केपी, आजाद चुनाव लड़ने की कर सकते हैं घोषणा
पूर्व सांसद महिंदर सिंह केपी दिल्ली से वापस लौट आए हैं। उन्होंने रविवार को समर्थकों की मीटिंग बुला ली है। भेजे गए मैसेज में लिखा है कि साथियों से बात करने के बाद ही रणनीति बनाएंगे।
जेएनएन, जालंधर। पूर्व सांसद महिंदर सिंह केपी दिल्ली से वापस लौट आए हैं। उन्होंने रविवार को समर्थकों की मीटिंग बुला ली है। सभी को रविवार सुबह 10.30 बजे केपी ने घर पर बुलाया है। मोबाइल पर भेजे गए मैसेज में लिखा है कि साथियों से विचार विमर्श करके ही अगली रणनीति तय करेंगे। केपी कांग्रेस पर दबाव बनाने का आखिरी दांव खेलने की तैयारी में हैं। केपी रविवार को आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की भी घोषणा कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने नामांकन के लिए पेपर तैयार करवाने शुरू कर दिए हैं। भाजपा से बातचीत होने के बावजूद केपी कांग्रेस में बने रहने को ही पहल दे रहे हैं। इसका मुख्य कारण भाजपा से होशियारपुर में टिकट मिलने की उम्मीद कम है।
नतीजतन केपी की कोशिश है कि कांग्रेस पर ही दबाव बनाकर अपना काम निकाल जाए तो बेहतर होगा। बताते हैं कि वे चार दिन दिल्ली में रुकने के बाद वीरवार रात को ही जालंधर वापस लौट आए थे। शुक्रवार को उन्होंने करीबियों के साथ बैठक करके अगली रणनीति पर चर्चा की है।
इस बार जालंधर से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक
केपी का तर्क था कि बीते चुनाव में पार्टी ने उन्हें सिटिंग एमपी होने के बाद भी होशियारपुर भेज दिया था। उन्होंने पार्टी की बात मानी थी। अब पार्टी को जालंधर से उन्हें तवज्जो देनी चाहिए थी। कांग्रेस ने जालंधर से संतोख सिंह चौधरी को दोबारा उम्मीदवार बना दिया है। इसके बाद से केपी नाराज चल रहे हैं। उन्होंने भाजपा का दामन भी थामने का रास्ता खोल लिया है।
सोमवार को सीएम पर बनाएंगे सियासी दबाव
पूर्व सांसद महिंदर सिंह केपी अपने पत्ते रविवार को खोलेंगे। सोमवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जालंधर में रहेंगे। वह कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी संतोख सिंह का नामांकन करवाने आ रहे हैं। केपी इस मौके को भी भुनाने की तैयारी कर रहे हैं। रविवार को अगर केपी आजाद लड़ने की घोषणा करते हैं तो सोमवार को कांग्रेस के लिए दबाव की स्थिति रहेगी। केपी इसी का इंतजार कर रहे हैं।
कहां प्रभावित करेंगे केपी
केपी के आजाद चुनाव लड़ने से जालंधर के रविदास समाज का कांग्रेस का वोट बैंक प्रभावित हो सकता है। केपी भी रविदास समाज से संबंधित हैं और कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी संतोख सिंह भी रविदास समाज से संबंधित हैं। इसलिए केपी अगर आजाद चुनाव लड़ते हैं तो रविदास समाज का वोट बंट सकता है और वाल्मीकि समाज जिसके पक्ष में होगा उसका पलड़ा भारी हो सकता है।