आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद किडनी रोगी को निजी अस्पताल में नहीं मिला इलाज, परिवार ने डीसी को लगाई गुहार
जालंधर में निजी अस्पताल को आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद इलाज नहीं मिल रहा है। मरीज की दोनों किडनियां खराब हैं। इसको लेकर शुक्रवार को डीसी आफिस में किडनी रोगी व उसके परिजनों ने इलाज को लेकर निजी अस्पताल की पोल खोल दी।
जालंधर, जेएनएन। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद निजी अस्पताल में इलाज नहीं मिल रहा है। मरीज की दोनों किडनियां खराब हैं। इसको लेकर शुक्रवार को डीसी आफिस में किडनी रोगी व उसके परिजनों ने इलाज को लेकर निजी अस्पताल की पोल खोल दी। उन्होंने डीसी से इंसाफ की गुहार लगाई और सेवाएं न देने वाले अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की मांग की।
प्रशासनिक कांप्लेक्स में अव्यवस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि किडनी रोगी सुनीता रानी को परिसर में लेकर जाने के लिए व्हीलचेयर तक उपलब्ध नहीं हुई। नतीजतन उसके परिजन पहले गोद में उठा कर डीसी आफिस पहुंचे। अलावलपुर निवासी विजय कुमार ने बताया कि सुनीता रानी का इलाज करवाने के लिए वह इंडिया किडनी अस्पताल में गए थे। उसकी दोनों किडनियां खराब हैं। उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ रही है। उन्होंने अस्पताल के डाक्टर पर आयुष्मान कार्ड पर इलाज करने से साफ मना करने का आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि डाक्टर ने इलाज के लिए पैसे लेकर आने की बात कही है। वह इलाज पर सारी जमा पूंजी खर्च चुके हैं। सुनीता रानी ने बताया कि बीमारी की वजह से उनके घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है। उसके बच्चे कमा कर लाते हैं और उसी से गुजारा चलता है। वह एसडीएम जैइंद्र ङ्क्षसह से मिले और उन्हें पूरी बात बताई। उन्होंने सहायता के आश्वासन दिया। गौरतलब है कि आयुष्मान सरबत सेहत बीमा योजना के तहत इलाज करवाने की सुविधा मुहैया करवाने के लिए जिले के निजी अस्पताल पहले से ही विजिलेंस के निशाने पर हैं। अस्पतालों में इलाज को लेकर हुए घालमेल को लेकर जांच अभी चल रही है।
अस्पताल पर लगे आरोप बेबुनियाद : डा. रघुविंदर
उधर, इंडिया किडनी अस्पताल के डा. रघुविंदर सिंह ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने बताया कि मरीज उनके पास ओपीडी में आया था। आयुष्मान कार्ड पर मरीज को दाखिल कर सुविधा दी जाती है। इसकी जानकारी मरीज को दी गई थी। इसके उपरांत डीसी आफिस से भी फोन आया था था। मरीज शाम को दोबारा अस्पताल में आया था। उसे डायलिासिस की जरूरत नहीं थी। उसका मुफ्त इलाज कर घर भेज दिया गया है और मामले की जानकारी डीसी को दे दी है।
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