सिंगल पीस पीपीई किट 'मार्शल' से कोराेना को रखें दूर, धोइए और फिर पहनिए
पंजाब के जालंधर के एनआइअी के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने एक कोरोना से बचाव के लिए अनोखा सिंगल पीस पीपीई किट बनाया है। इस किट को धो सकते हैं और दोबारा इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
जालंधर, [अंकित शर्मा]। कोरोना के खिलाफ जंग में योगदान दे रहे योद्धाओं के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) जालंधर के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. महेश कुमार झा ने सिंगल पीस फुल बॉडी कवर पीपीई किट 'मार्शल' तैयार की है। बाजार से मिलने वाली पीपीई किट को एक ही बार इस्तेमाल करने के बाद नष्ट कर दिया जाता है, लेकिन इसे धोकर दोबारा प्रयोग कर सकते हैं।
एनआइटी जालंधर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. महेश कुमार ने बनाई अनोखा पीपीई किट
'मार्शल' में सिंथेटिक कॉटन, पॉलीमर मिक्स फैब्रिक व प्योर कॉटन के साथ-साथ एंटी स्लिप सोल का इस्तेमाल किया है। इससे इसको पहनने वालों को दौडऩे या चलते समय कोई परेशानी नहीं होगी। कॉटन के इस्तेमाल से 'मार्शल' धोने योग्य होने होने से दोबारा इस्तेमाल की जा सकती है। शुद्ध कॉटन इसे बेहद हल्का और हवादार बनाता हैं। इसे रासायनिक और यूवी विकिरण विधि से धोया जा सकता है और स्टरलाइज कर इस्तेमाल कर सकते हैं। किट के एल-1 व एल-3 लेवल की वजह से इसका निर्माण कम लागत में किया जा सकता है। यानी कि 500 से 1500 रुपये तक में।
बनाने में शुद्ध कॉटन के इस्तेमाल से बेहद हल्की और हवादार, पहनने के बाद नहीं होती घुटन
मार्केट में नार्मल पीपीई किट 250 से शुरू होकर 2500 या इससे ज्यादा में उपलब्ध हैं। इसमें हवा का परिसंचरण सही तरह से हो, इसके लिए इसके वेंटिलेशन को खोला व बंद किया जा सकता है। इसे लंबे समय तक भी पहना जा सकता है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए यह बेहद फायदेमद है। बाजार से मिलने वाली किट में मास्क, गाउन, कैप, गॉगल्स, स्क्रीन गार्ड, जूतों का कवर को अलग-अलग पहना जाता है, जबकि 'मार्शल' में ये सभी शामिल किए गए हैं।
ग्लव्स और मास्क भी इसी में लगे, एंटी स्लिप सोल के इस्तेमाल से चलने-फिरने में आसानी
एन-95 और एन-99 मास्क को पहन कर नाक और चेहरे पर पूरी तरह से चिपकाया जाता है। इससे चेहरे पर नुकसान भी होता है। मार्शल का डिजाइन ही इस तरह से तैयार किया गया कि वह पूरी तरह से चेहरे और नाक से चिपका रहे। सामान्य किट में ज्यादातर सामने की ओर से जिप लगाकर छोड़ दी जाती है। इससे कुछ हिस्से इसमें छोड़ दिए जाते हैं। ऐसे में पीछे का हिस्सा पूरी तरह से बंद नहीं होता है। मार्शल में अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए पीछे की ओर से जिप लगाई गई है। कोरोनो वायरस ज्यादातर नाक, मुख और आंख के म्यूकोसल परतों के माध्यम से प्रवेश करता है। इसमें जिप पीछे होने से संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।
लॉकडाउन में घर में फंसे तो किट बनाने का विचार आया
झारखंड के देवघर जिले के गांव पालाजोरी में रहने वाले डॉ. महेश बताते हैं कि मैं छुट्टियों में घर आया था। इसी दौरान कोविड-19 की वजह से देश भर में लॉकडाउन लग गया। इस वजह से मैं अपने घर में ही फंस गया। इसी दौरान कोरोना वायरस से बचाव को लेकर कुछ करने का विचार आया। ऐसे में रिसर्च शुरू की। रिसर्च में पाया कि वायरस से बचाव में एंटी स्लीप सोल बेहद फायदेमंद है। अगर इसे सिर से पैर तक पीपीई किट के रूप में तैयार कर लिया जाए तो ये सिंगल पीस होने के कारण वारियर्स के लिए सुरक्षित कवच होगा।
महेश ने बताया कि इसमें दो दोस्तों अमित और संभल की मदद ली। एंटी स्लीप सोल लिया, जिसका इस्तेमाल जूतों में भी किया जाता है, ताकि किसी प्रकार से चलते व दौड़ते समय कोई परेशानी न हो। उस समय झारखंड के ग्रीन जोन में होने कारण जरूरी सामान इकट्ठा करने में भी कोई परेशानी नहीं हुई। इसे एक महीने में तैयार कर लिया गया। खास बात यह है कि बाजार में उपलब्ध सामान्य पीपीई किट वजनदार होती है और इसका इस्तेमाल महामारी की स्थिति के दौरान ही होता है। सामान्य प्रयोजन के लिए इसका उपयोग नहीं करते हैं। मार्शल महामारी के अलावा सामान्य काम के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है
पेटेंट भी करवाया
डॉ. महेश ने बताया कि उन्होंने पीपीई किट का पेटेंट करवा लिया है। अब मैन्युफैक्चरिंग के लिए ट्रेडमार्क लेने की प्रोसेसिंग शुरू कर दी है और साथ ही इसकी मॉडिफिकेशन करके आइएसओ नंबर लिया जाना है।
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