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Civil Hospital में कायाकल्प की टीम को मिली खामियां, सवालों के सही जवाब नहीं दे पाया स्टाफ Jalandhar News

Civil Hospital के निरीक्षण के दौरान कायाकल्प की टीम को कई खामियां मिलीं। सवालों के सही जवाब न मिल पाने पर टीम ने नाराजगी भी जाहिर की है।

By Sat PaulEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 12:46 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 08:05 AM (IST)
Civil Hospital में कायाकल्प की टीम को मिली खामियां, सवालों के सही जवाब नहीं दे पाया स्टाफ Jalandhar News
Civil Hospital में कायाकल्प की टीम को मिली खामियां, सवालों के सही जवाब नहीं दे पाया स्टाफ Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। कायाकल्प की दौड़ में शामिल सिविल अस्पताल पहला चरण पार करने के बाद दूसरे चरण में अव्वल आने की पूरी तैयारी में जुटा है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन के प्रयासों पर पानी फ‍िरता दिख रहा है। कायाकल्प की टीम ने वीरवार को सिविल अस्तपाल का दौरा कर निरीक्षण किया। स्टाफ से काम करवाकर देखा और कर्इ सवाल भी पूछे। निरीक्षण के दौरान कायाकल्प की टीम को कई खामियां मिलीं। सवालों के सही जवाब न मिल पाने पर टीम ने नाराजगी भी जाहिर की है।

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सिविल अस्पताल में पहुंची टीम ने मेडिकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ व नर्सिंग स्टूडेंट्स से सवाल किए। टीम ने सफाई सेवको से फर्श पर खून गिरने की सूरत में सफाई कैसे करें। मरीज की पट्टी करने व इंजेक्शन लगाने के बाद वेस्टेज का क्या करना है, जैसे कई सवाल पूछे। इसके इलावा डॉक्टर के राउंड पर होने के चलते मेन दरवाजा न बंद करने, सारा सामान होने के बाबजूद सही ढंग से काम न करने पर नाराजगी जाहिर की। टीम ने मेल-फीमेल सर्जिकल वार्ड, ऑपरेशन थियेटर व अन्य वार्ड का जायजा लिया।

सिविल अस्पताल के स्टाफ से काम करवाकर जायजा लेतीं कायाकल्प की टीम।

पहला स्थान हासिल करने पर मिलेंगे 25 लाख रुपये

कायाकल्प के पंजाब स्तर के अस्पतालों की दौड़ में पहले स्थान पर आने वाले अस्पताल को 25 लाख, दूसरे को 15 तथा तीसरे को 10 लाख रुपये की राशि अस्पताल के विकास के लिए दी जाएगी। पहले चरण में सिविल अस्पताल को 78 फीसद अंक हासिल हुए हैं। पिछले साल 67 फीसद अंक के साथ उसे 12वां स्थान मिला था।

हड़ताल के बावजूद अस्पताल के स्टाफ ने किया काम

बुधवार को मुलाजिमों की हड़ताल के बावजूद मुलाजिम वार्डो की साफ सफाई व रिकॉर्ड तैयार करने में जुटे रहे थे। अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल की वेबसाइट भी तैयार करवा दी है। पिछले करीब दो साल से बाल रोग विभाग के कोरिडोर में उखड़ी एक दर्जन के करीब टाइलें भी लगवा दी गई हैं। इसके अलावा बायो मेडिकल वेस्ट के रख रखाव को लेकर बनाए कमरे को लेकर भी सुधार किया गया। अस्पताल के स्टाफ ने वार्ड, शौचालयों, कॉरिडोर, लैब व ब्लड बैंक में साफ-सफाई व रिकॉर्ड को अपडेट कर दिया था। इसके अलावा स्टाफ को भी बेसिक नीतियों का पाठ पढ़ाया गया था।

सिविल अस्पताल में भर्ती मरीज। कायाकल्प की टीम ने विभिन्न वार्डों का निरीक्षण भी किया।

पंजाब के सभी अस्पतालों से बड़ा है सिविल अस्पताल

जालंधर का सिविल अस्पताल पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन के राज्य के सभी अस्पतालों से बड़ा है। 550 बेड की क्षमता वाला कोई भी अस्पताल नहीं है, जबकि कायाकल्प के मापदंड 350 बेड क्षमता वाले अस्पतालों तक ही सिमटकर रह गए हैं। अस्पताल में बेड की क्षमता के मुताबिक स्टाफ व सुविधाओं का खासा अभाव है। सेहत विभाग इन्हें पूरा करने में कन्नी कतरा रहा है। कायाकल्प की शर्तो के मुताबिक कई नीतियां ऐसी हैं जिन्हें पूरा करना संभव नहीं है और न ही अस्पाल के पास फंड होते हैं।

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