..मिला तो सिर्फ इंतजार
विधानसभा हलका करतारपुर लकड़ी के फर्नीचर को लेकर विश्वभर में प्रसिद्ध है। दोआबा की सियासत में भी इसका अहम स्थान है। खास तौर पर दलित राजनीति में इसने कई बड़े नेता दिए।
विधानसभा हलका करतारपुर लकड़ी के फर्नीचर को लेकर विश्वभर में प्रसिद्ध है। दोआबा की सियासत में भी इसका अहम स्थान है। खास तौर पर दलित राजनीति में इसने कई बड़े नेता दिए। हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मास्टर गुरबंता सिंह और राजनीति में जबरदस्त पकड़ रखने वाले चौधरी जगजीत सिंह का यह गढ़ माना जाता रहा है। इन्हीं के परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में चौधरी सुरिंदर सिंह मौजूदा विधायक हैं। कांग्रेस हाईकमान ने विधायक के कामकाज का आकलन करके दो दिन पहले टिकट तो जारी कर दी है लेकिन अभी जनता की समीक्षा बाकी है। 14 फरवरी को मतदान से पहले जनता पिछले पांच साल के काम को परखेगी। चौधरी सुरिंदर सिंह अपने दादा मास्टर गुरबंता सिंह और पिता चौधरी जगजीत सिंह की तरह राजनीतिक रूप से बेहद तेजतर्रार नहीं है। इसी वजह से हलके के विकास को लेकर भी लोग कम संतुष्ट है। विधायक ने हलके में एक बड़ा स्टेडियम और करतारपुर सिटी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का वादा किया था। इस वादे को पांच साल बीत गए, कई बार इसे चुनाव मंच पर दोहराया भी गया लेकिन अभी भी दोनों प्रोजेक्ट कागजों में ही नजर आते है। चुनावी साल में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सब-डिविजन बनाने की घोषणा की। लोग नोटिफिकेशन का इंतजार करते रहे लेकिन दर्जा नहीं मिल पाया। पांच साल में छोटे विकास कार्य तो कई हुए लेकिन बड़े प्रोजेक्टों के लिए महज इंतजार ही करना पड़ा। करतारपुर से दीपक कुमार की रिपोर्ट :
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मुद्दे जो हल नहीं हो पाए इस साल भी सीवरेज की निकासी बनेगा मुद्दा
करतारपुर शहर के लोगों की बड़ी मांग रही है कि सीवरेज के पानी की निकासी को दुरुस्त किया जाए। इसके लिए शहर में नया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की व्यवस्था की गई लेकिन काम पत्थर लगाने से आगे नहीं बढ़ पाया है। आज भी कई इलाकों में सीवरेज व्यवस्था चरमराई रहती है और सड़कों पर गंदा पानी कई कई दिन जमा रहता है। खासतौर पर बरसात के दिनों में करतारपुर सिटी में लोग जलभराव से परेशान रहते हैं। इस बार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का मुद्दा काफी भड़क सकता है क्योंकि इसके लिए 10 करोड़ रुपये की ग्रांट तो जारी हुई है लेकिन काम नहीं हो पाया। ----------
युवाओं के लिए स्टेडियम नहीं बन सका
विधायक चौधरी सुरिंदर ने वादा किया था कि खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए करतारपुर में एक बड़ा खेल स्टेडियम बनाया जाएगा लेकिन अभी तक यह प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पाया है। युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया गया था और लोगों ने भी इसका समर्थन किया लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। वोटरों के लिए तो यह मुद्दा रहेगा ही विपक्ष को भी इससे आक्सीजन मिलेगी। चौधरी के लिए स्टेडियम का मुद्दा गले की फांस बन सकता है। --------------
मुद्दे जो हल हुए
जाते-जाते एक सौगात मिली
पांच साल में सबसे अच्छी बात रही कि पिछले महीने करतारपुर को सब डिवीजन का दर्जा देने की घोषणा करके मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने क्षेत्रवासियों की मांग पूरी की। विधायक ने यह मांग काफी समय से रखी हुई थी और करतारपुर के सबडिवीजन बनने का लोगों को इंतजार था। विधायक के खाते में यह सफलता जरूर है कि कि उन्होंने इसे पूरा करवाया लेकिन इसके नोटिफिकेशन होने में छह महीने और लग सकते है। पर सब डिवीजन बनने से लोगों को काम करवाने के लिए जालंधर नहीं जाना पड़ेगा। चुनावी साल में सड़कों पर खूब बहा पैसा
चुनावी साल में करोड़ों रुपये की लागत से दर्जनों सड़कों का निर्माण हुआ। ये सड़कें चार साल तक जर्जर हालत में थी जिससे करतारपुर के लोग बहुत परेशानी में थे। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने हर विधानसभा हलका के लिए ग्रांट जारी की थी और इसका फायदा लोगों को मिला है। सिर्फ करतारपुर सिटी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र, कस्बा लांबड़ा, जंडूसिघा में भी सड़क निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। -------------
हमारे प्रत्याशी
चार प्रमुख चेहरे मैदान में, भाजपा का इंतजार
कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सुरिंदर चौधरी पर ही दूसरी बार भरोसा जताया है। आम आदमी पार्टी ने पुलिस अधिकारी बलकार सिंह, शिरोमणि अकाली दल व बसपा ने एडवोकेट बलविदर सिंह, किसान समाज मोर्चा से पूर्व सरपंच राजेश कुमार को मैदान में उतारा है। भाजपा गठबंधन ने अभी पत्ते नहीं खोले। हालांकि सुरिंदर चौधरी को टिकट भी काफी मशक्कत के बाद मिला। इस वजह से बार-बार सर्वे करवाने के बाद ही पार्टी हाईकमान ने चौधरी की टिकट फाइनल की है। भारतीय जनता पार्टी और उनके सहयोगी पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त में से सीट किस खाते में जाएगी यह भी तय नहीं है लेकिन इस सीट पर भाजपा का भी अच्छा खासा प्रभाव है।
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चुनावी समीकरण
बलकार सिंह और बलविदर प्रचार में आगे
टिकट मिलने के बाद आप प्रत्याशी बलकार सिंह के समर्थन में दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी संयोजक अरविद केजरीवाल दो बार करतारपुर विधानसभा में आकर लोगों को संबोधित कर चुके हैं। शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल एडवोकेट बलविदर कुमार के हक में एक ही दिन में एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर जाकर बलविदर कुमार के लिए वोट मांग चुके हैं। किसान समाज मोर्चा भी अब मैदान में डट गया है। अब कांग्रेस की बारी आ गई है और सिर्फ भाजपा को टिकट मिलने का इंतजार है। भाजपा और उनके सहयोगी दल जब यह तय करेंगे कि यह सीट किस खाते में जाएगी उसी के बाद पिक्चर क्लियर होगी। करतारपुर क्योंकि देहाती एरिया है इसलिए यहां पर किसान समाज मोर्चा की भूमिका भी अहम रहेगी। करतापुर विधानसभा सीट के इलाके
करतारपुर हलका की भौगोलिक स्थिति काफी विकट है। यह कई विधानसभा हलकों से जुड़ा है। इसकी सीमाएं नकोदर, जालंधर वेस्ट, जालंधर नार्थ, जालंधर सेंट्रल, आदमपुर, कपूरथला और भुलत्थ से सटी हैं। लांबड़ा, करतारपुर सिटी, जंडूसिंघा गांव बल्लां, वरियाणा और मकसूदां से सटे इलाके करतारपुर में आते हैं। करतारपुर का चुनावी इतिहास 2017 चौधरी सुरिंदर सिंह कांग्रेस
2012 सरवन सिंह फिल्लौर अकाली दल
2007 अविनाश चंद्र अकाली दल
2002 चौधरी जगजीत सिंह कांग्रेस
1997 चौधरी जगजीत सिंह कांग्रेस
1992 चौधरी जगजीत सिंह कांग्रेस
1985 चौधरी जगजीत सिंह कांग्रेस
1980 चौधरी जगजीत सिंह कांग्रेस
1977 भगत सिंह
1972 मास्टर गुरबंता सिंह