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खून की दलाली करते दो रंगे हाथ धरे, इस अस्पताल का ब्लड बैंक सील

जालंधर के अस्तपाल में खून की दलाली करते दो लोगों को रंगे हाथ पकड़ा गया है। इस दौरान एक अस्पताल का ब्लड बैंक भी सील कर दिया गया है।

By Sat PaulEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 11:45 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 01:11 PM (IST)
खून की दलाली करते दो रंगे हाथ धरे, इस अस्पताल का ब्लड बैंक सील
खून की दलाली करते दो रंगे हाथ धरे, इस अस्पताल का ब्लड बैंक सील

जागरण संवाददाता, जालंधर। स्वयंसेवी संस्थाओं और सेहत विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से ट्रैप लगाकरशहर के नामी जोशी अस्पताल से खून की दलाली करते दो लोगों को रंगे हाथ पकड़ा और पुलिस के हवाले कर दिया। दोनों दलालों ने एक अज्ञात व्यक्ति के साथ एक यूनिट ब्लड का तीन हजार रुपये में सौदा किया था। पकड़े गए दलालों की पहचान राहुल वर्मा और विक्की के रूप में हुई है। हालांकि इस सारे खेल का मास्टरमाइंड गौरव अभी हत्थे नहीं चढ़ा है।

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वहीं, दलालों को ब्लड यूनिट मुहैया कराने वाले कपूरथला चौक स्थित जोशी अस्पताल एंड ट्रोमा सेंटर के ब्लड बैंक को सेहत विभाग ने तुरंत प्रभाव से सील कर दिया है। ब्लड बैंक सील करने से पूर्व ड्रग इंस्पेक्टर अमरजीत ङ्क्षसह व वरिष्ठ सहायक दिनेश कुमार की टीम ने पुलिस प्रशासन के साथ ब्लड बैंक का रिकार्ड खंगाला। मौके पर आइएमए के प्रधान डॉ. मुकेश गुप्ता, आइएमए पंजाब के मनोनीत प्रधान डॉ. योगेश्वर सूद, डॉ. डीआर शर्मा, द हिन्दोस्तान ब्लड डोनर वेलफेयर सोसायटी के प्रधान गोपाल लूंबा, पूर्व प्रधान विनीत पुरी, पीआरओ नीरज बख्शी, बीआर अंबेडकर ब्लड डोनर एसो. के प्रधान जतिन मट्टू भी पहुंचे।

ऐसे हुआ पूरे मामले का पटाक्षेप

यूथ ब्लड डोनर आर्गेनाइजेशन एंड वेलफेयर सोसायटी के प्रधान विशाल और द ब्लड एसोसिएशन के प्रमुख वरदान चड्ढा ने बताया कि उन्हें पिछले करीब दो महीने से एक व्यक्ति पर अवैध ढंग से रक्त बेचने का संदेह था। उन्होंने सेहत विभाग के ड्रग विंग के सहयोग से पिछले तीन दिन से ट्रैप लगा रखा था। मंगलवार शाम को करीब साढ़े छह बजे सेंट्रल अस्पताल के कर्मी गौरव को फोन किया। गौरव ने उन्हें राहुल वर्मा निवासी कृष्णा नगर का फोन नंबर दे दिया।

तीन हजार में हुआ था सौदा

राहुल का नंबर मिलने के बाद एसोसिएशन सदस्यों ने उससे संपर्क किया। राहुल ने उन्हें फुटबाल चौक पर बुलाया। वहां खून को लेकर सौदेबाजी हुई। तीन हजार रुपये में एक यूनिट लेने पर सहमति बनी। फ्रेश ब्लड की डिमांड पर राहुल ने 500 रुपये अधिक मांगे लेकिन सौदा तीन हजार में ही तय हुआ। एसोसिएशन ने श्रीमन अस्पताल के पैड पर फर्जी मरीज कृष्णा देवी (49) के नाम बी पॉजिटिव खून के एक यूनिट का फर्जी आवेदन व खून के सैंपल राहुल को थमा दिए। सवा छह बजे राहुल जोशी अस्पताल एंड ट्रोमा सेंटर के ब्लड बैंक में खून लेने के लिए पहुंचा। ट्रैप लगाकर बैठी टीम ने राहुल को 28 नोट 100-100 के और एक नोट 200 रुपये दिया, जिनके नंबर पहले से नोट थे। राहुल शाम 7.25 मिनट पर एक यूनिट ब्लड लेकर चिकचिक हाउस के पास पहुंचा और डिलीवरी देते वक्त दबोच लिया गया। मौके पर राहुल के साथ एक अन्य युवक विक्की भी था। दोनों को थाना 2 की पुलिस को सौंप दिया गया। ड्रग विभाग की टीम ने खून का बैग नंबर 9284 जो जोशी अस्पताल एंड ट्रोमा सेंटर के ब्लड बैंक में 13 नवंबर को दान किया गया था, को सील कर लिया। इसके अलावा ब्लड बैंक का रिकार्ड भी कब्जे में ले लिया। मौके पर तैनात मुलाजिम के बयान कलमबद्ध किए। टीम ने ब्लड बैंक से 1400 रुपये के 100-100 के नोट बरामद किए और उनके नंबर भी मैच हो गए हैं। उधर, राहुल की जेब से मिले नोटों के नंबर भी मैच हो गए हैं। मौके पर राहुल और विक्की से एक शराब की बोतल भी बरामद हुई। सेंट्रल अस्पताल के डॉ. यश शर्मा ने बताया कि गौरव करीब चार-पांच महीने पहले उनसे नौकरी छोड़ गया है। अब अस्पताल के साथ उसका कोई संबंध नहीं है।

दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बग्गा का कहना है कि खून की कालाबाजारी रोकने के लिए सेहत विभाग व स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रयास से खून बेचने वाले दलालों को दबोच कर पुलिस के हवाले किया गया है। ब्लड बैंक सील कर दिया है, रिकार्ड की जांच की जाएगी। दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

बेबुनियाद हैं सारे आरोप: गुप्ता

जोशी अस्पताल बीटीओ डॉ. अरविंद गुप्ता का कहना है कि खून कानून की नीतियों के आधार पर जारी किया गया है और एसोसिएशन के सदस्यों ने धक्केशाही की है। करीब डेढ़ माह पहले भी इसी संस्था की तरफ से उन्हें फंसाने का प्रयास किया गया था। खून की कालाबाजारी के आरोप बेबुनियाद हैं।

पूरा मामला कैमरों में किया कैद

एसोसिएशन को पता था कि इस कार्रवाई के दौरान उनपर अंगुलियां उठाई जा सकती हैं। इसलिए उन्होंने पूरे प्रकरण का पटाक्षेप करने के लिए पूरे पुख्ता प्रबंध कर रखे थे। जहां नोटों के नंबर उनके पास नोट थे, वहीं सारा प्रकरण पांच कैमरों में कैद हो रहा था।


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