एनआरआइज की समस्याओं को हल करवाने को तैयार रहते हैं जसवीर गिल
पंजाबी चाहे विदेश में बसे हों लेकिन मिट्टी की खुशबू उन्हें वापिस धरती पर खींच लाती है।
कमल किशोर, जालंधर
पंजाबी चाहे विदेश में बसे हों लेकिन मिट्टी की खुशबू उन्हें वापिस धरती पर खींच लाती है। विदेश में रहने के बावजूद उनका दिल पंजाब में ही धड़कता है। इसकी मिसाल गोराया के धलेता गाव में जन्मे एनआरआइ जसवीर सिंह गिल से मिलती है। 1982 में इंग्लैंड गए जसवीर सिंह छह साल तक वहां रहे। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड में कामर्शियल पायलट की ट्रेनिंग ली। फैक्ट्री में काम किया। कांट्रैक्ट फ्लाइट उड़ाने के बाद वर्ष 1987 में पंजाब वापिस आने का मन बना लिया।
बकौल जसवीर सिंह इंग्लैंड में रहते समय वे कई पंजाबियों के संपर्क में आए। उनको विदेशों में और पंजाब में आने वाली समस्याओं को सुना। इन समस्याओं का हल करने के लिए वे पंजाब वापिस आ गए। हालांकि उनके बच्चे इंग्लैंड में ही रह रहे हैं। पंजाब में खेतीबाड़ी करने के साथ-साथ मेटल कोडिंग का काम करना शुरू किया।
जसबीर सिंह गिल ने बताया कि इंग्लैंड से वापिस आने का मुख्य उद्देश्य यही था कि पंजाब में एनआरआइज की समस्याओं का हल करना था। वर्ष 2013 में सभा के प्रधान पद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। जीतने के बाद एनआरआइज को पेश आने वाली समस्याओं का हल करना शुरू किया। पहले ईराकी अंबेसी के साथ बातचीत कर ईराक में फंसे 430 पंजाबियों को वहा से कुशल निकाल कर घर तक पहुंचाया। एनआरआइज की समस्याओं को जल्द हल करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू करवाई। एनआरइज की प्रापर्टी पर हुए कब्जे उन्हें लौटाने संबंधी काम किया। इस काम में एनआरआइज कमिशन की आइजी गुरप्रीत दिओ ने काफी सहायता की। गिल बताते हैं कि विदेशी दूल्हों पर शिकंजा कसने के लिए लोगों को जागरूक करवाया। गाव-गाव में सेमिनार लगाए। यहीं नहीं आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूके, कनाडा अंबेसी के साथ संबंध स्थापित किए। चाहे प्रधान पदक की कुर्सी नहीं है लेकिन अपने स्तर पर एनआरआइज को पेश आने वाली समस्याओं को हल करवा रहे हैं।