कांग्रेस ने डा. दहिया को उतारा, भाजपा ने इंतजार बढ़ाया
मंगलवार को विधानसभा चुनाव को लेकर जालंधर के विभिन्न हलकों से भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस और पंजाब लोक कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं होने के चलते अब दावेदारों का इंतजार और बढ़ गया है।
भाजपा गठबंधन को अभी पांच सीटों से उतारने है प्रत्याशी, देर रात कांग्रेस ने अपनी आखिरी सीट नकोदर से भी साफ की तस्वीर ::टिकट की टिकटिक का लोगो लगाएं:::
-आदमपुर सीट से कांग्रेस कर रही रिव्यू, बदला जा सकता है कोटली का हलका मनोज त्रिपाठी, जालंधर
विधानसभा चुनाव को लेकर जालंधर के विभिन्न हलकों से भारतीय जनता पार्टी व इसके सहयोगी दलों के उम्मीदवारों की लिस्ट देर रात तक जारी नहीं की गई जिससे दावेदारों का इंतजार और बढ़ गया है। मंगलवार को पूरे दिन जालंधर के आदमपुर, कैंट, नकोदर, करतारपुर और शाहकोट से भारतीय जनता पार्टी व पंजाब लोक कांग्रेस के दावेदार टिकट का इंतजार करते रहे। अब उम्मीद की जा रही है कि यह लिस्ट 27 जनवरी को जारी की जाएगी। हालांकि रात साढ़े 11 बजे कांग्रेस ने तस्वीर साफ कर दी। जालंधर जिले की एकमात्र बची सीट नकोदर से उन्होंने डा. नवजोत दहिया को उतारा है। हालांकि कांग्रेस की सबसे ज्यादा इंतजार वाली सीटों में आदमपुर सीट का रिव्यू शामिल है, उसको लेकर कोई घोषणा नहीं की गई। इस सीट से कांग्रेस ने बसपा से आए उम्मीदवार सुखविदर कोटली को मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के मोहिदर सिंह केपी को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पार्टी नए सिरे से रिव्यू कर रही है लेकिन अभी तक पार्टी फैसला नहीं कर सकी है। मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी खुद यह कह चुके हैं कि आदमपुर की सीट पर उम्मीदवार का फैसला नए सिरे से रिव्यू करके किया जा सकता है। इसके बाद मोहिदर सिंह केपी की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि उन्हें इस सीट से टिकट दिया जा सकता है। यही वजह है कि केपी अभी वेट एंड वाच की स्थिति में हैं। इसी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस भी अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर पाई है। कैप्टन भी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि केपी के मामले को लेकर अगर कांग्रेस फैसला नहीं ले पाती है तो वे केपी को अपने खेमे में खड़ा कर लेंगे। भारतीय जनता पार्टी के साथ सहयोगी दल के रूप में चुनावी मैदान में उतर रही कैप्टन की पार्टी इस सीट से अपना उम्मीदवार उतारेगी। केपी की बातचीत भाजपा के साथ भी चल रही थी लेकिन वेस्ट हलके से भाजपा ने मोहिदर भगत को मैदान में उतारकर केपी की उम्मीदें खत्म कर दी हैं।
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कैंट से सोनू ढेसी हो सकते हैं उम्मीदवार
कैंट से भारतीय जनता पार्टी की सबसे ज्यादा दावेदार हैं। इस सीट से भाजपा के अमित तनेजा, देहाती के प्रधान अमरजीत सिंह अमरी, प्रदेश प्रवक्ता दीवान अमित अरोड़ा और अकाली दल छोड़कर भाजपा में आए सरबजीत सिंह मक्कड़ मुख्य दावेदारों में शामिल हैं। इसके अलावा भाजपा इस सीट से सोनू ढेसी को भी उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है। सोनू ढेसी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह के ओएसडी रह चुके हैं। उनका जालंधर कैंट हलके में जनाधार भी है। परगट सिंह भी इस बात को लेकर परेशान हैं कि कहीं भाजपा सोनू ढेसी को चुनावी मैदान में न उतार दे। इसलिए लग सकता है ढेसी का नंबर
सोनू ढेसी 2012 से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले पांच सालों में कैप्टन की टीम में रहने के चलते सोनू ढेसी ने हलके में अपनी पकड़ भी काफी मजबूत कर ली है। यही वजह है कि कैप्टन की तरफ से भाजपा को सोनू ढेसी का नाम सुझाया गया है और भाजपाइयों में इस सीट से उम्मीदवारी को लेकर चल रही खींचतान के बीच सोनू ढेसी का नंबर भी उम्मीदवारी के लिए लग सकता है। सोनू ढेसी परगट के विरोधियों को भी अंदरखाते अपने साथ चुनाव में खड़ा करके कांग्रेस के वोट बैंक में भी अच्छी खासी सेंधमारी कर सकते हैं।
---------------------------------------------------- करतारपुर से दौड़ में पूर्व मेयर महे हो सकते हैं उम्मीदवार
भाजपा की तरफ से करतारपुर से पूर्व मेयर सुरिदर महे को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। सुरिदर महे 2002 से लेकर 2007 तक जालंधर के मेयर रह चुके हैं। 2007, 2012 व 2017 में लगातार पार्टी की तरफ से नजरंदाज किए जाने के बाद महे ने कांग्रेस को अलविदा कहकर लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा महे को वेस्ट हलके से भी उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतार सकती है। महे पर नजर इसलिए
महे ने पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत चौधरी जगजीत सिंह के साथ जालंधर ही नहीं करतारपुर हलके में भी काफी काम किया था इसलिए करतारपुर में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। करतारपुर से चौधरी के बेटे सुरिदर चौधरी दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं। भाजपा यहां पर महे को चुनावी मैदान में उतारकर सारे समीकरण पलट सकती है।
------------------------------------- शाहकोट में कंबोज की पार्टी को लेकर फंसा पेंच
शाहकोट सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती बनी हुई है। यह सीट गठबंधन में संयुक्त अकाली दल के खाते में गई है। संयुक्त अकाली दल यहां से अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाह रहा है। पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन कर्नल सीडी सिंह कंबोज का इस हलके में काफी पुराना जनाधार है। कंबोज भारतीय जनता पार्टी से टिकट चाह रहे हैं जबकि यह सीट गठबंधन में संयुक्त अकाली दल के खाते में चली गई है। इसलिए इस सीट को लेकर भाजपा व संयुक्त अकाली दल में अभी तक पेंच फंसा हुआ है कि कंबोज को किस दल की तरफ से चुनावी मैदान में उतारा जाए। कंबोज अपनी इच्छा जता चुके हैं कि वे भाजपा से ही चुनावी मैदान में आएंगे। कंबोज की मजबूती का आधार
हलके में सबसे ज्यादा कंबोज बिरादरी के वोटरों के चलते जाति ध्रुवीकरण के मद्देनजर इस पर कंबोज का दावा सबसे ज्यादा मजबूत है। उनकी टिकट लगभग तय है।
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---------------- वडाला को टक्कर देंगे डा. दहिया
कांग्रेस ने डा. नवजोत सिंह दहिया पर दांव खेला है। वह वित्तमंत्री मनप्रीत बादल के करीबी हैं। डा. दहिया आर्थोपेडिक सर्जन है और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के एक्सपर्ट हैं। नकोदर सीट पर अकाली दल के मौजूदा विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला के खिलाफ काग्रेसी को डा. दहिया के रूप में मजबूत चेहरा मिला है जबकि इस सीट पर कई दावेदार थे। काग्रेस यहा से पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह उतारना चाहती थी लेकिन उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। पूर्व मंत्री अमरजीत सिंह समरा ने भी चुनाव से मना कर दिया था लेकिन डा. दहिया के करीबी हैं और समरा की सहमति से ही टिकट दी गई है। इस सीट से राजिंदर पाल सिंह राणा रंधावा, काकू आहलूवालिया, अश्वन भल्ला समेत कई दावेदार थे। जगबीर सिंह बराड़ ने नकोदर में पांच साल काफी मेहनत के बाद कांग्रेस की जमीन तैयार कर ली थी लेकिन पार्टी में अंदरूनी समीकरण बिगड़ने के बाद बराड़ ने अकाली दल का दामन थाम लिया था। दस साल पहले भी लड़ चुके हैं चुनाव
डा. नवजोत मूल रूप से शाहकोट के हैं और 2012 में मनप्रीत बादल की पीपल्स पार्टी आफ पंजाब से चुनाव लड़ चुके हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपप्रधान भी रहे हैं। मौजूदा समय में वह पंजाब स्टेट जनरल कैटेगरी कमीशन के चेयरमैन भी है। उन्होंने हाल ही में यह पद संभाला था।