जालंधर के कई इलाकों में स्ट्रीट लाइट व्यवस्था ध्वस्त, अंधेरे में बढ़ रही अपराधिक घटनाएं
जालंधर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत एलइडी स्ट्रीट लाइट लगाने की तैयारियां चल रही हैं तो वहीं मौजूदा स्ट्रीट लाइट व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त नजर रही है। इसके लिए सालाना बजट के हिसाब से पैसे तो जा रहे हैं लेकिन ठेकेदार काम के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं।
जालंधर, जेएनएन। शहर में स्ट्रीट लाइट व्यवस्था ध्वस्त है। कई मेन रोड ही अंधेरे में डूबी हैं। जिला के सबसे बड़े अधिकारी डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस इरोड कई महीनों से अंधेरे में डूबी है और यहां पर लाइट्स ठीक करने का कोई इंतजाम नहीं है। स्ट्रीट लाइट व्यवस्था के हालात ऐसे हैं कि शाम होते ही शहर के कई इलाके अंधेरे में डूब जाते हैं। खास करके बाहरी और सुनसान इलाकों में ज्यादा मुश्किल है। यहां पर अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं और छीना झपटी की वारदातें बढ़ती हैं। इन इलाकों में अंधेरे में निकलना मुश्किल काम है।
स्ट्रीट लाइट व्यवस्था को लेकर पिछले 4 साल से हालात खराब हैं। करीब 4 साल पहले एलइडी स्ट्रीट लाइट का बिल पास हो कर काम शुरू हुआ था लेकिन इस बीच सरकार बदली और प्रोजेक्ट रद्द कर दिया गया। अब 3 साल बाद नगर निगम ने स्मार्ट सिटी कंपनी के फंड से एलइडी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट पर काम करवाने की तैयारी शुरू की है। पिछले 3 साल में स्ट्रीट लाइट्स मेंटेनेंस ठेकेदारों ने नगर निगम को खूब ब्लैकमेल किया है। नगर निगम नए प्रोजेक्ट को शुरू करवाने की तैयारियों में लगा रहा और पुरानी व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया।
स्ट्रीट लाइट पर सालाना करीब 4 करोड रुपए मेंटेनेंस खर्च खर्च होते हैं। यह पैसा तो जा रहा है लेकिन इसके नतीजे अच्छे नहीं हैं। ठेकेदार सिर्फ दिखावे के लिए काम कर रहे हैं और कई इलाकों में स्ट्रीट लाइट बंद रहती है। ठेकेदारों को न तो का जुर्माना लगाया जा रहा है और न ही काम ठीक करने के लिए दबाव बन रहा है।
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