कोरोना से हार मानने को तैयार नहीं दिव्यांग, तकनीक के सहारे लिख रहे सफलता की इबारत
दिव्यांग छात्र आॅनलाइन शिक्षा की चुनौतियों का दृढ़ता से सामना कर रहे हैं। शिक्षक भी एक्स्ट्रा टाइम के साथ-साथ वन-टू-वन कर उनकी हर परेशानी का हल निकाल रहे हैं।
जालंधर, [अंकित शर्मा]। कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल साढ़े तीन महीने से बंद हैं। पढ़ाई में बच्चों को लय बरकरार रखने के लिए आॅनलाइन कक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में बच्चों को पढ़ाई से जुड़ी तमाम तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। इन हालातों के बावजूद दिव्यांग छात्र कोरोना से हार मानने को तैयार नहीं हैं और तकनीक के सहारे सफलता की इबारत लिख रहे हैं। वे आॅनलाइन शिक्षा की चुनौतियों का दृढ़ता से सामना कर शिक्षकों से वन-टू-वन जुड़कर अपनी कमियों को दूर कर खूबियों में बदल रहे हैं। एेसे में शिक्षक भी क्लास के बच्चों के साथ तो वर्चुअल व जूम एप के जरिए ग्रुप में जुड़ रहे हैं। साथ ही दिव्यांगों के लिए एक्स्ट्रा टाइम के साथ-साथ वन-टू-वन कर रहे हैं, ताकि ये स्पेशल बच्चे भी बाकियों के मुकाबले किसी भी पक्ष से पीछे न रहें। इसके लिए शिक्षक आॅडियो-वीडियो लेक्चर, नोट्स आदि देकर बच्चों का साथ दे रहे हैं।
पोलियोग्रस्त हरचरण आॅनलाइन शिक्षा लेकर कर रहा कमियों को दूर
सरकारी मिडिल स्कूल रामपुर ब्लॉक वेस्ट में सातवीं कक्षा में पढ़ता हरचरन जस्सल पोलियोग्रस्त है। वह 100 फीसद तक डिसेबल है। हरचरन का कहना है कि उसे अंग्रेजी बोलने में समस्या रहती थी, पर लाॅकडाउन के दौरान उसने कड़ी मेहनत कर अपनी इस समस्या को दूर कर लिया। अब अंग्रेजी में स्पीच और लेक्चर देने में कोई परेशानी नहीं होती। इसका श्रेय उसके एसएसटी शिक्षक राम कृष्ण को जाता है, जिन्होंने हमेशा उसका साथ दिया। हरचरन के पिता चरनदास प्लंबर हैं और मां हाउस वाइफ हैं। उसे हार्मोनियम बजाने, गीत, शब्द गाने का भी बहुत शौक है। इसलिए उसने गुरु तेग बहादुर साहिब महाराज के 400वें प्रकाश पर्व के संबंध में आयोजित आनलाइन शब्द गायन कंपीटिशन में भाग लिया। जिसमें वो दूसरे स्थान पर रहा। हरचरन एडवोकेट बनकर आर्थिक पक्ष से कमजोर और दिव्यांगों के लिए काम करना चाहता है। शिक्षक राम कृष्ण कहते हैं कि इन बच्चों को दूसरों से अलग नहीं समझना चाहिए। इन बच्चों को उत्साहित करने की जरूरत रहती है।
शिक्षिका की गाइडेंस पर वीडियो बनाकर मनीष ने दूर की अपनी कमियां
सरकारी हाई स्कूल कोट रामदास में दसवीं के दिव्यांग छात्र मनीष कुमार का आईक्यू छोटे बच्चे के समान है। लेकिन अगर कोई बात उसे बार-बार समझाते रहें, तो वह उसके ध्यान में रहती है। शिक्षकों की तरफ से मनीष पर खास ध्यान दिया जाता है। शिक्षिका ज्योति बाला कहती हैं कि मनीष को बाकी बच्चों की तरफ से आॅनलाइन क्लासें दी जा रही हैं। ताकि पहले एक बार उसको कुछ-कुछ टाॅपिक समझ आएं। वहीं एक्स्ट्रा व वन टू वन के जरिए बाकी रहती कमी को दूर किया जा रहा है। उसमें लर्निंग स्किल को सुधारने के लिए वीडियो बनाकर अपने लैसन भेजने की आदत डाली है। जिससे उसमें बेहद सुधार आया है। जहां कमी रहती है, वहां उसे घर जाकर थोड़ी गाइडेंस दी। नोट्स और बुक्स बनाई, ताकि मनीष में आए सुधार में कोविड-19 की वजह से स्कूल बंद होने पर कमी न आ जाए। मनीष के पिता मेजर कुमार कोटरामदास पुरा स्थित अपने घर में ही करियाना की दुकान चलाते हैं, जबकि मां ऊषा गृहणी है। मनीष के पिता और मां का कहना है कि बेटी की पढ़ाई में इतना ज्यादा सुधार देखकर बेहद खुश है।
अंधविद्यालय बंद हैं, सितंबर से लगेंगी कक्षाएं
राष्ट्रीय अंध विद्यालय में पहली से 12वीं तक के 40 से अधिक बच्चे हैं, मगर कोविड-19 की वजह से स्कूल को बंद रखा गया है। प्रिंसिपल आत्मा राम भारती कहते हैं कि इन बच्चों को ब्रेल लिपी के जरिए ही पढ़ाया जा सकता है। इसलिए उनके पास शिक्षकों का होना बेहद जरूरी है। मगर यह संभव न हो पाने की वजह से शिक्षकों और बच्चों की छुट्टियां हैं। इस स्कूल में पंजाब के विभिन्न जिलों, हरियाणा, हिमाचल, यूपी, एमपी आदि के बच्चे यहां पढ़ते हैं। जिन्हें उनके परिजन वापस ले गए हैं। सभी को सितंबर में स्कूल खुलने संबंधी जानकारी दी हुई है।