रैनक बाजार शॉपकीपर एसोसिएशन बोली मुलाजिमों को देंगे आधा वेतन, विरोध शुरू
शोशल मीडिया पर फैसले का भारी विरोध किया जा रहा है। कुछ संगठनों ने तो इसे तुगलकी फरमान बताते हुए लेबर एक्ट के तहत जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग भी कर दी है।
जालंधर, जेएनएन। कोरोना वायरस संकट के कारण लगाए गए लॉकडाउन को लेकर रैनक बाजार शॉपकीपर एसोसिएशन ने मुलाजिमों को आधा वेतन देने का फरमान जारी किया है। इसके लिए बाकायदा एसोसिएशन के लेटर पैड पर पदाधिकारियों ने मीडिया को भी सूचना जारी कर दी।
इसके बाद से लेकर सोशल मीडिया पर इस फैसले का भारी विरोध किया जा रहा है। कुछ संगठनों ने तो इसे तुगलकी फरमान बताते हुए लेबर एक्ट के तहत जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग भी कर दी है। 22 मार्च से देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के साथ ही तमाम दुकानें बंद रखने के निर्देश जारी किए गए थे। ऐसे में दुकानदारों द्वारा काम करने वाले मुलाजिमों को वेतन देने के लाले पड़े हुए हैं। लिहाजा, शनिवार को रैनक बाजार शॉपकीपर एसोसिएशन की तरफ से जारी की गई। सूचना में दुकानों पर काम करने वाले सभी मुलाजिमों को आधा वेतन देने की घोषणा कर दी गई। इसके लिए बकायदा मीडिया को भी पत्र जारी किया गया। यही पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शॉपकीपर एसोसिएशन के इस फैसले की चौतरफा निंदा हो रही है।
धक्केशाही करने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई हो : बाहरी
इस बारे में शिवसेना हिंद के दोआबा जोन अध्यक्ष मनीष बाहरी ने कहा कि दुकानदारों ने यह फरमान जारी करके मुलाजिमों के साथ धक्केशाही करने का प्रयास किया है, जो सरासर नाजायज है। महंगाई के दौर में इन मुलाजिमों के लिए पहले से ही परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में अगर उन्हें आधा वेतन दिया गया तो उनकी मुश्किल और बढ़ जाएगी। अगर एसोसिएशन ने अपना फैसला तुरंत वापस ना लिया तो लेबर कमीशन के समक्ष शिकायत रखने को विवश होंगे।
बंद पड़ी दुकानों का कैसे करें भुगतान
इस बारे में रैनक बाजार शॉपकीपर एसोसिएशन के प्रधान ललित शर्मा सोनू बताते हैं कि मार्च से मार्केट बंद पड़ी हुई है। जिला प्रशासन की इजाजत के बाद सप्ताह में आधे दिन ही दुकानें खुल पा रही हैं। यही कारण है कि मुलाजिमों को निकालने की बजाए आधा वेतन देने पर फैसला बना है। प्रशासन के आदेशों के मुताबिक शाम छह बजे दुकानें बंद कर दी जाती हैं। इसके अलावा रविवार को छुट्टी रहती है। अगर जिला प्रशासन दुकानें खोलने का समय बढ़ा देता है तो इस पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर लोग कर रहे कमेंट
सोशल मीडिया पर एसोसिएशन के इस फैसले का कड़ा विरोध किया जा रहा है। अखिल कश्यप लिखते हैं कि अगर बाजार में ग्राहक नहीं आ रहे तो इसमें इन मुलाजिमों का क्या कसूर। कभी सोचा है कि वे आधे वेतन में अपने परिवार को कैसे चला पाएंगे।