उम्मीदों का साल 2021, जालंधर में पूरे होंगे कई बड़े प्रोजेक्ट, कूड़े से निजात के साथ हर घर को मिलेगी यूआईडी
नए साल 2021 में जालंधर में वरियाणा डंप पर आठ लाख क्यूबिक टन कूड़े को खत्म करने के बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट मलबे से इंटरलाकिंग टाइल्स बनाने और हर घर को यूनिक आइडी के तहत क्यूआर कोड देने के प्रोजेक्ट शामिल हैं।
जालंधर, जेएनएन। नए साल 2021 जालंधर के लिए भी नई उम्मीदें लेकर आया है। आशा है कि इस साल कोरोना वायरस महामारी के कारण रुके स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों पर तेजी से काम हो सकेगा। साल-2020 में विकास के नाम पर जो सन्नाटा पसरा रहा, नए साल में टूटेगा। नए साल के पहले हफ्ते में शहर को कई बड़े प्रोजेक्ट मिलने जा रहे हैं। इन सभी प्रोजेक्ट के टेंडर प्रोसेस आखिरी दौर में है। एक हफ्ते में सभी के फाइनल हो जाने की उम्मीद है।
साल के नए प्रोजेक्टों में वरियाणा डंप पर आठ लाख क्यूबिक टन कूड़े को खत्म करने के बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट, मलबे से इंटरलाकिंग टाइल्स तैयार करने के सीएंडडी वेस्ट प्लांट, फायर ब्रिगेड के लिए मल्टी गैस डिटेक्टर इक्विपमेंट्स, हर घर को यूनिक आइडी के तहत क्यूआर कोड व अर्बन एस्टेट से सुभाना तक की सड़क सहित कई प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में सोलर लाइटें लगाई जाएंगी। हरेक स्कूल स्मार्ट बनेगा। जिले को भगवान सूर्य देव का मंदिर मिलेगा तो सब्जी मंडी को अवैध फड़ियों से निजात मिलेगी। वहीं, पुलिस महिलाओं की सुरक्षा यकीनी बनाने के लिए वूमेन हेल्प डेस्क शुरू करेगी तो पंजाब के हर गांव को मिलेगा विलेज पुलिस अफसर मिलेगा।
बायो माइनिंग टेंडर के लिए चार कंपनियों के आवेदन
वरियाणा डंप पर करीब 40 साल से जमा कूड़े को खत्म करने के लिए बायो माइनिंग प्रोजेक्ट की तकनीकी बिड सफल रही है। चार कंपनियां टेंडर लेने की इच्छुक हैं। 41 करोड़ रुपये के टेंडर के लिए चारों कंपनियों की तकनीकी क्षमता का अवमूल्यन किया जाएगा और दो-तीन दिनों में तकनीकी रूप से सक्षम कंपनियों को फाइनेंशियल बिड में शामिल करके टेंडर अलाट कर दिया जाएगा। इससे 14 एकड़ में फैले डंप पर लगे कूड़े के अंबार को खत्म किया जाएगा। कंपनी 4 से 6 महीने में अपनी मशीनरी स्थापित करेगी और अगले तीन साल में पूरा कूड़ा खत्म कर देगी।
मलबे से बनेंगी इंटरलाकिंग टाइल्स
सीएंडडी वेस्ट प्लांट की फाइनेंशियल बिड दो-तीन दिनों में ओपन हो जाएगी। यह प्लांट गदईपुर में लगाया जाना है। शहर में इमारतों, सड़कों के मलबे को प्रोसेस करके इस प्लांट में इंटरलाकिंग टाइल्स बनाई जाएंगी। यह इंटरलाकिंग टाइल्स शहर में सड़क निर्माण में इस्तेमाल हो सकेंगी। स्मार्ट सिटी कंपनी ने छह करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को तैयार करवाना है। प्लांट चलाने का ठेका दिया जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण रोकने के लिए यह प्रोजेक्ट लगाने का आदेश दिया था।
हर घर को मिलेगी क्यूआर कोड से पहचान
शहर की हर प्रापर्टी को क्यूआर कोड से एक नई पहचान मिलेगी। इसके लिए ड्रोन से सर्वे होगा। करीब 2.50 करोड़ के प्रोजेक्ट से जीआइएस सर्वे के तहत क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड मिलेगा। क्यूआर प्लेट्स का डाटा जीआइएस सर्वे के तहत लिंक होगा। प्रापर्टी टैक्स, पानी-सीवरेज और कूड़े की डोर टू डोर कलेक्शन को इससे जोड़ा जाएगा। क्यूआर कोड में प्रापर्टी से संबंधित पूरा रिकार्ड दर्ज होगा, जिसे प्रापर्टी मालिक या निगम की स्कैन कर सकेगा। इससे निगम के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि हर प्रापर्टी का रिकार्ड अपडेट रहेगा।