अकाली दल से नाराज सरबजीत मक्कड़ ने तलाशा नया घर, पढ़ें जालंधर की अन्य रोचक खबरें
सरबजीत सिंह मक्कड़ इस बार भी कैंट हलके से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे लेकिन सुखबीर सिंह बादल ने उन्हें दरकिनार करके जगबीर सिंह बराड़ को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसके बाद से मक्कड़ नाराज चल रहे थे।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर। शिरोमणि अकाली दल में लंबे समय तक सियासत करने वाले पूर्व विधायक सरबजीत सिंह मक्कड़ ने अब भाजपा का दामन थाम लिया है। मक्कड़ इस बार भी कैंट हलके से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन सुखबीर सिंह बादल ने उनकी दावेदारी को किनारे करके जगबीर सिंह बराड़ को अकाली दल का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसके बाद से मक्कड़ नाराज चल रहे थे। उनके भाजपा का दामन थामने के बाद इसी बात पर चर्चा हो रही है कि मक्कड़ को किसने भाजपा ज्वाइन करने में मदद की। खबरनवीस ने भी मामले की पड़ताल की तो बात निकली कि मक्कड़ के परिवार से ही एक युवा नेता ने भाजपा के साथ मक्कड़ के रिश्ते मधुर बनवाए और ज्वाइनिंग में अहम भूमिका अदा की। अब जालंधर कैंट की राजनीति गरमा गई है, क्योंकि मक्कड़ ने दावा भी कर दिया है कि उनकी कैंट से टिकट की बात हो गई है।
सेंट्रल हलके का लड्डू कौन खाएगा
विधानसभा चुनाव के सिर पर आने के बाद से लगातार जालंधर की हिंदू बाहुल्य मतदाताओं वाली सीट पर सभी राजनीतिक पार्टियों के दावेदार लड्डू खाने को तैयार बैठे हुए हैं, लेकिन एक सिख चेहरे ने अंदरखाते सेंधमारी करके बड़े धमाके की तैयारी कर ली है। भारतीय जनता पार्टी के साथ बीते एक महीने से अंदरखाते संपर्क में चल रहे सिख चेहरे ने पहले भी जालंधर सेंट्रल हलके से चुनाव लड़ा था, लेकिन तब त्रिकोणीय संघर्ष में चुनाव में हार मिली थी। हालांकि इस बार हिंदुओं की लड़ाई में सिख की जीत जातीय समीकरण के हिसाब से पक्की देखकर नेता जी ने भाजपा में जाने का मन बना लिया है। बस रह गई है तो सिर्फ औपचारिकता। किसी भी दिन बड़े धमाके के साथ उन्हें भी भाजपा के रंग में देखा जा सकता है। इसकी सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बस सही समय का इंतजार किया जा रहा है।
कैसे हुई लावारिस कुत्ते की मौत
बीते सप्ताह नगर निगम की सियासत एक लावारिस कुत्ते की मौत के इर्द-गिर्द घूमती रही। कुत्ते की मौत को लेकर एक जागरूक महिला ने नगर निगम में डाक्टरों पर गलत ट्रीटमेंट करने का आरोप लगाकर शिकायत दर्ज करवा दी। फिर क्या था इसके बाद मामले की जांच होनी ही थी। कुत्ते की मौत के मामले में डाक्टरों के खिलाफ जांच शुरू हो गई है और लगातार पेशियां शुरू हो चुकी हैं। डाक्टर सफाई देते फिर रहे हैं। शहर की एक जागरूक महिला की जागरूकता से अगर बेजुबान पर हुए अत्याचार को लेकर इंसाफ की लड़ाई लड़ी जा सकती है तो शहर में कितने इंसान हैं जो विभिन्न विभागों के अत्याचार का शिकार हो रहे हैं। उनकी लड़ाई भी जागरूकता के साथ लड़ी जा सकती है। फर्क केवल इतना है कि लोगों को कानूनी तौर पर जागरूक होना पड़ेगा और एक आम नागरिक के अधिकारों के बारे में जानकारी लेनी पड़ेगी।
विधायक परगट सिंह का मास्टर स्ट्रोक
कैंट हलके के विधायक परगट सिंह ने मंत्री बनने के बाद कोई और काम किया या है नहीं अभी इसकी जानकारी कुछ दिनों में हो सकेगी, लेकिन अपने विधानसभा हलके की चुनावी तैयारियों को लेकर 66 फुट रोड को फोरलेन करवाने का काम जरूर शुरू करवा दिया है। एक पंथ दो काज की स्टाइल में परगट सिंह ने सड़क ही नहीं चौड़ी करवाने का काम किया, बल्कि सड़क के किनारे बसी कालोनियों में रहने वाले 18 हजार मतदाताओं पर भी नजरें टिका ली हैं। परगट सिंह को पता था कि जल्दी में यही काम आसानी के साथ हो सकता है, जहां पर इतनी संख्या में वोट बैंक है। परगट सिंह के विरोधी चुनाव आचार संहिता का इंतजार कर रहे हैं कि जल्द से जल्द आचार संहिता लागू हो और इस काम का क्रेडिट परगट न लेने पाएं। देखना है कि चुनाव में यह वोट बैंक किस करवट बैठता है।
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