हमारा क्या कसूर : फर्श पर बैठकर जा रहे थे, रात को ठंड में आशियाना भी नसीब नहीं हुआ
पंजाब में कोरोना के डर व पिछले साल जैसे हालात न हो जाए इसलिए श्रमिक बड़ी संख्या में घरों को लौट रहे हैं। बुधवार रात हुई इस कार्रवाई के बाद इन सभी के पैसे भी गए और रातभर इनको ठंड में ठहरने तक की जगह नहीं मिली।
जालंधर, जेएनएन। कोरोना के डर व पिछले साल जैसे हालात न हो जाए इसलिए पंजाब से श्रमिक बड़ी संख्या में घरों को लौट रहे हैं। उसी कारण बस संचालकों को मनमाना किराया भी दे रहे हैं। उनके डर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 40 घंटे तक वे फर्श या बस में ठूंसे होने के बावजूद घर लौटना चाहते हैं। बुधवार रात हुई इस कार्रवाई के बाद इन सभी के पैसे भी गए और रातभर इनको ठंड में ठहरने तक की जगह नहीं मिली। रात दो बजे तक वे सड़कों के किनारे या हाईवे के नीचे ही लेटे या घूमते मिले।
प्रशासन के भी किसी अधिकारी ने उनके ठहरने की व्यवस्था भी नहीं की। कुछ श्रमिकों ने बताया कि काम तो पहले ही छिन गया था। कुछ पैसे बचाए थे ताकि घर पहुंच जाए। अब वो भी नहीं बचे। ऐसे हालात में वे कहां जाएं, कुछ समझ नहीं आ रहे। उन्होंने पूछा कि क्या सिर्फ इतना कसूर था कि वो कोरोना के इस विकट समय में घर जाने की आस लेकर निकले थे।
बस मालिक व यूनियन सदस्यों में तकरार, तेजधार हथियार निकले
मामले की सूचना मिलने के बाद बस सर्विस का मालिक भी अपने साथियों के साथ मौके पर पहुंच गया। बस मालिक और यूनियन के सदस्यों में नोंकझोंक भी हुई। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों तरफ से धारदार हथियार भी निकल गए। इस बवाल में एक पत्रकार पर भी धारदार हथियार से हमला करने की कोशिश की गई।
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