भाजपा नेता पर शिकंजा, मेयर ने फिर खोला निगम टेंडर में फर्जीवाड़े का मामला; दो दिन में मांगी रिपोर्ट
नगर निगम में साल 2015 में टेंडर लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करवाने के मामले में कांट्रेक्ट कंपनी अमृतसर की वीएच इंटरप्राइजिज के खिलाफ दोबारा जांच खोल दी है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। नगर निगम में साल 2015 में टेंडर लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करवाने के मामले में कांट्रेक्ट कंपनी अमृतसर की वीएच इंटरप्राइजिज के खिलाफ दोबारा जांच खोल दी है। पहले हुई जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। मेयर जगदीश राजा ने निगम के बीएंडआर डिपार्टमेंट से पूरे मामले में दो दिन में रिपोर्ट मांगी है। मेयर ने अफसरों से पूछा है कि 55 लाख का टेंडर लेने के लिए अगर निगम के साथ फर्जीवाड़ा किया गया है तो अब तक दोषी के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं करवाया गया। मामले की परतें खुलने के बाद भाजपा में प्रदेश स्तरीय महत्वपूर्ण पद पर बैठे एक नेता पर शिकंजा कस सकता है।
अकाली-भाजपा सरकार के समय ही यह गड़बड़ी पकड़ी गई थी लेकिन तब पार्टी के दबाव में कार्रवाई नहीं हो पाई थी। तब एफएंडसीसी की मीटिंग में यह मुद्दा उछला तो मेयर सुनील ज्योति ने जांच के आदेश दिए थे। इसके कुछ समय बाद सरकार बदल गई और मामला ठंडा पड़ गया। वहीं कांग्रेस का निगम में कब्जा तो हुआ लेकिन सवा साल तक इस पर गौर नहीं किया गया लेकिन अब मेयर एकदाम से एक्शन में आ गए हैं। यह एक्शन लोकसभा चुनाव को लेकर बताया जा रहा है।
बागवानी विभाग में कांट्रेक्ट पर रखने थे मुलाजिम
नगर निगम के बीएंडआर डिपार्टमेंट ने करीब 55 लाख रुपए का टेंडर निकाला था। इसे वीएच इंटरप्राइजिज ने भी भरा था। जब दस्तावेजों की जांच हुई तो सामने आया कि कांट्रेक्टर ने मुलाजिमों के पीएफ और ईएसआइ डिडक्ट करने के लिए जो दस्तावेज जमा करवाए थे वह फर्जी थे। एक शिकायत के आधार पर की गई जांच में यह गड़बड़ी पकड़ी गई।
चुनाव में गरमाएगा यह मुद्दा
बता दें कि यह मामला चुनाव में गरमा सकता है। हालांकि यह भी सामने आ रहा है कि वीएच इंटरप्राइजिज का मालिक दस्तावेजों में सीधे रूप से भाजपा नेता नहीं है लेकिन भाजपा नेता ही इसे चला रहा है। चुनाव से पहले कांग्रेस इस मुद्दे को उठा कर सासंद चौधरी संतोख सिंह के मामले को भी काउंटर करना चाहती है। अगर भाजपा नेताओं को घेरा जाता है तो कांग्रेस के खिलाफ भी आवाज उठानी मुश्किल होगी।