विधानसभा चुनाव से पहले बड़े नेताओं की परीक्षा, चौधरी चाचा-भतीजा, केपी व बराड़ की प्रतिष्ठा दांव पर
कांग्रेस आम आदमी पार्टी शिरोमणि अकाली दल भाजपा और बहुजन समाज पार्टी विधानसभा चुनाव से एक साल पहले अपना आधार परखने की तैयारी कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर कौंसिल और नगर पंचायत चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की साख दांव पर लगी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और बहुजन समाज पार्टी विधानसभा चुनाव से एक साल पहले अपना आधार परखने की तैयारी कर रहे हैं। 14 फरवरी को परीक्षा होगी और 17 को नतीजों के साथ तय हो जाएगा कि कौन सी पार्टी किस नंबर पर है।
हालांकि स्थानीय निकाय चुनाव में हमेशा से ही सत्तारूढ़ पार्टी के लिए ही रास्ता साफ होता है, ऐसे में कांग्रेस के लिए भी चुनाव ज्यादा कठिन नहीं है लेकिन कई बड़े नेताओं के लिए यह चुनाव बेहद खास है। सबसेअधिक प्रतिष्ठा का सवाल सांसद चौधरी संतोख सिंह के लिए है। उनके लिए फिल्लौर कौंसिल चुनाव में कांग्रेस को बढ़त दिलाना जरूरी होगा। यहां सीटों के बंटवारे को लेकर भी खींचतान चलती रही है। अकाली दल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री सरवण सिंह फिल्लौर के लिए भी यह चुनाव खास है क्योंकि उनके कई समर्थक मैदान में हैं। सांसद चौधरी संतोख सिंह के लिए चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के तूफान के बावजूद भी उनके बेटे चौधरी विक्रमजीत सिंह चुनाव हार गए थे। फिल्लौर में शिरोमणि अकाली दल के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी का भी जबरदस्त वोट बैंक है और यह हमेशा ही कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बना रहा है। आम आदमी पार्टी भी यहां पर अपना दम दिखाएगी। ---------
5 कौंसिल में अकाली दल के विधायकों से खतरा
छह नगर कौंसिल और दो नगर पंचायत में चुनाव होने हैं। इनमें से 5 इस समय अकाली विधायकों और 3 कांग्रेस विधायकों के अधीन आती हैं। करतारपुर, लोहिया खास और महितपुर में कांग्रेस के विधायक हैं। लोहियां खास और महितपुर में विधायक लाडी शेरोवालिया की अगुवाई में रास्ता आसान नजर आ रहा है लेकिन कांग्रेस का गढ़ रहे करतारपुर से अब जमीन खिसकती जा रही है। यहां पर कांग्रेस को सभी वार्डों में प्रत्याशी उतारने में भी मुश्किल आई है। विधायक चौधरी सुरेंद्र सिंह के लिए अकाली दल और आजाद उम्मीदवार के साथ बसपा भी चुनौती दे रही है। लोकसभा चुनाव में युवा नेता बलविदर कुमार ने जिस मजबूती से चुनाव लड़ा था वह कांग्रेस के लिए खतरा है। बलविदर कुमार इस समय पूरी तरह से करतारपुर पर फोकस किए हैं।
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आदमपुर में केपी को टीनू की चुनौती
आदमपुर विधानसभा सीट के अधीन आती आदमपुर और अलावलपुर में स्थानीय निकाय चुनाव है। यहां से अकाली दल के विधायक पवन टीनू की स्थिति मजबूत रही है। कांग्रेस यहां पर लगातार चुनाव हारती आ रही है। विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की लहर के बावजूद सीनियर कांग्रेस नेता मोहिदर सिंह केपी को हार झेलनी पड़ी थी। कांग्रेस को यहां पवन टीनू की काट नहीं मिल रही है। आदमपुर को लेकर सांसद चौधरी संतोख सिंह और पूर्व सांसद मोहिदर सिंह केपी के बीच हुए टकराव की स्थिति है, जिसका लाभ अकाली दल को मिल सकता है। -------------
नकोदर में बराड़ को दिखानी होगी ताकत
नकोदर विधानसभा सीट के तहत नकोदर और नूरमहल नगर कौंसिल चुनाव हैं। यहां पर भी अकाली दल के ही विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला 10 साल से काबिज हैं। विधायक के रसूख का असर अकाली दल के उम्मीदवारों को भी मिलेगा। नकोदर में मौजूदा कांग्रेस हलका इंचार्ज जगबीर बराड़ और पूर्व मंत्री अमरजीत सिंह समरा में टकराव के कारण भी कांग्रेस में दरार है। इसका लाभ कहीं ना कहीं अकाली दल को मिल रहा है। नूरमहल में कांग्रेस के लिए रास्ता कठिन है। यहां पर शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी में समझौता हो गया है। जिस कारण से कांग्रेस को कड़ी टक्कर मिलने का अनुमान है।