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जालंधर में कच्चे अध्यापकों ने किया शिक्षा विभाग की सेमिनारों और आनलाइन कार्यों का बायकाट

यूनियन के जिला प्रधान कुलदीप कुमार ने कहा कि यह तब तक लागू रहेगा जब तक सरकार कच्चे अध्यापक शिक्षा प्रोवाइडर ईजीएस एआईई एसटीआर आदि वालंटियर्स को पक्का नहीं करती। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार ने उन्हें रेगुलर करने का वादा किया था।

By Vipin KumarEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 04:29 PM (IST)
जालंधर में कच्चे अध्यापकों ने किया शिक्षा विभाग की सेमिनारों और आनलाइन कार्यों का बायकाट
मंगलवार को जालंधर में डीईओ एलिमेंट्री को मांगपत्र देते हुए शिक्षक। जागरण

जासं, जालंधर। पंजाब में शिक्षकों का संघर्ष तेज होता जा रहा है। पक्का किए जाने की मांग को लेकर गैररेगुलर अध्यापक यूनियन पंजाब ने शिक्षा विभाग की तरफ से चलाए जा रहे पढ़ो पंजाब-पढ़ाओ पंजाब को प्रोजेक्टों के लिए चल रहे सेमिनार और आनलाइन काम का बायकाट करने की घोषणा की है।

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डीईओ एलिमेंट्री को दिया मांगपत्र

यूनियन के जिला प्रधान कुलदीप कुमार ने कहा कि यह तब तक लागू रहेगा, जब तक सरकार कच्चे अध्यापक शिक्षा प्रोवाइडर, ईजीएस, एआईई, एसटीआर आदि वालंटियर्स को पक्का नहीं करती। इस संबंध में यूनियन के सदस्यों ने जिला शिक्षा अधिकारी एलिमेंटरी रामपाल और जिला शिक्षा अधिकारी सेकेंडरी हरिंदरपाल सिंह को मांगपत्र दिया। सरकार के नाम दिए इस पत्र के जरिये उन्हें रेगुलर करने की मांग उठाई। साथ ही, चेताया गया कि अगर उनकी मांगों पर गौर न किया गया तो उनका विभागीय कार्यों के बायकाट के साथ-साथ और वे कड़ा संघर्ष करने के लिए भी तैयार रहेंगे।

सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नहीं पूरा किया अपना वादा

उनका कहना है कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने सरकार बनने से पहले शिक्षा प्रोवाइडरों के चल रहे 419 दिनों के धरने में आकर कहा था कि वे पहल के आधार पर उनकी मांगों को स्वीकार करेंगे। मगर लंबा समय बीत जाने के बावजूद सरकार की तरफ से उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया। यही कारण है कि सभी अध्यापकों की तरफ से सरकार की नीतियों के विरोध में कामों का बायकाट करने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसका सभी ध्यान रखेंगे, पर विभागीय कार्य नहीं करेंगे। इस मौके पर संदीप संधू, त्रिलोक सिंह, संदीप कुमार, कुलदीप सिंह, प्रवीन कुमार, अल्का नैयर, शशिपाल, हरबिंदरपाल आदि इस मौके पर थे।

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