70 साल के युवा हैं उद्योगपति प्राण, बोले- देखी है सारी दुनिया... आई लव माई इंडिया
Gems of Jalandhar यूनिवर्सल स्पोर्ट्स के एमडी प्राण साफ्ट लेदर से विभिन्न प्रकार की खेल सामग्री का निर्माण करने के मास्टर हैं। वह कहते हैं कि स्पोर्टस की दुनिया में काम की कमी नहीं है। बस मेहनत व ईमानदारी से काम करने वाला चाहिए।
जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। सत्तर साल की उम्र में एक जवान उद्योगपति की तरह काम करने की आदत रखने वाले जालंधर के प्रमुख खेल उद्योगपति प्राणनाथ चड्ढा आज भी फैक्ट्री में पूरा समय बिताते हैं। यूनिवर्सल स्पोर्ट्स के एमडी तक का सफर तय करने वाले प्राण साफ्ट लेदर से विभिन्न प्रकार की खेल सामग्री का निर्माण करने के मास्टर हैं। इसी के दम पर उन्होंने जालंधर से लेकर दुनिया के तमाम देशों तक जालंधर का नाम रोशन किया है। वह कहते हैं कि स्पोर्ट्स की दुनिया में काम की कमी नहीं है। बस मेहनत व ईमानदारी से काम करने वाला चाहिए।
प्राण ने बताया कि पाकिस्तान के स्यालकोट से बंटवारे के बाद उनके पिता हंसराज चड्ढा जालंधर आए थे। जालंधर में उनका जन्म 1950 में हुआ था। पिता ने 1948 में ही साफ्ट लेदर से खेल सामग्री निर्माण का काम शुरू कर लिया था। साईं दास स्कूल में प्रारंभिक पढ़ाई के बाद प्राण इसी स्कूल से आगे की पढ़ाई भी की। 1965 में उन्होंने अपने भाई अयोध्यानाथ चड्ढा के साथ क्रिकेट की बाल बनाने का काम शुरू किया। यहां से उद्योगपति के रूप में शुरू हुआ सफर वर्ष 1967 में पिता की मास्टरी वाले साफ्ट लेदर के कारोबार की दिशा में मुड़ गया। इसके बाद बाक्सिंग व उसमें इस्तेमाल होने वाली खेल सामग्री का निर्माण करके घरेलू बाजार में सप्लाई की।
1978 में पहली बार वह यूके गए और भाई ने आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा किया। वहां से अच्छे आर्डर मिले और एक्सपोर्ट का काम शुरू कर दिया। आज यूके, यूएसए, हालैंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सहित दर्जनों देशों में अपनी फैक्ट्री में तैयार होने वाली खेल सामग्री का एक्सपोर्ट करके जालंधर का डंका उक्त देशों में बजा रहे हैं। प्राण कहते हैं भगवान का शुक्र है कि हमें इस लाइन में आगे बढ़ने का रास्ता उन्होंने दिखाया। हमने पूरी मेहनत व ईमानदारी के साथ काम किया। अपने खरीदारों के साथ हमेशा ईमानदारी से काम किया। आज खुशी होती है कि यूनिवर्सल स्पोर्टस का खेल सामग्री निर्माताओं में एक नाम है।
जो बात भारत की, वह कहीं नहीं
प्राण बताते हैं कि इस साल कोरोना के चलते वह अभी तक किसी देश का दौरा नहीं कर पाए हैं। इससे पहले 1978 से शुरू हुआ सिलसिला करीब 48 सालों से जारी था। दुनिया के तमाम देशों की सैर चुके प्राण कहते हैं कि कोई कुछ भी कहे, लेकिन जो बात भारत की है, वह कहीं नहीं। दूसरे ग्लैमरस जरूर हैं, लेकिन वह सुकून वहां नहीं जो अपने देश में है। इसी कारण मैं अपने देश से प्यार करता हूं।
कभी सुबह की सैर नहीं छोड़ता
प्राण बताते हैं कि उन्होंने कभी भी सुबह की सैर नहीं छोड़ी। रोजाना सुबह उठकर सैर करने के बाद फ्रेश होकर नाश्ता करते हैं। उसके बाद पूजा और फिर 10 बजे आफिस। आफिस से सारा काम खत्म करके पहले दोस्तों के साथ कुछ समय गुजार लेते थे। कोरोना काल में वह रुटीन बदल गया फिर सीधे घर जाना शुरू कर दिया। अब शाम को घर में टीवी पर आने वाली टिबेट देखते हैं और दस बजे सो जाते हैं।
युवा मेहनत व ईमानदारी से करें काम
प्राण कहते हैं कि आज के युवा को बुजुर्गों से प्रेरणा लेनी चाहिए। शार्टकट के बजाय मेहनत व ईमानदारी से काम करना चाहिए। जिस भी काम में हगाथ डालें उसे पूरा करें। मेहनत करें। सफलता जरूर मिलेगी। थोड़ा धैर्य रखें, सब कुछ उनकी मेहनत पर निर्भर है कि वह खुद व अपने काम के प्रति कितने ईमानदार व मेहनती हैं।
संयुक्त परिवार के कई लाभ
प्राण कहते हैं कि भले ही आज लोगों के परिवार टूट रहे हैं, लेकिन संयुक्त परिवार के जितने लाभ हैं, उतने लाभ अलग होने में नहीं हैं। किसी का खराब वक्त आता है और आप संयुक्त परिवार में हैं तो एक-दूसरे के संभाल लेते हैं। आपस में प्यार बना रहता है। जिंदगी में एक वक्त आता है जब आप भागदौड़ से थक जाते हैं तो आपका सहारा आपका परिवार होता है। अगर परिवार संयुक्त है तो आपके अंदर भरोसा व आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
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