जालंधर में खराब सडकें बनी वाहन चालकों के लिए बड़ा खतरा, NHAI और नगर निगम ने मूंदी आंखें
पीएपी फ्लाईओवर के नीचे से निकलते ही रामा मंडी की तरफ जाती सड़क लगभग 3 फीट चौड़ाई में बैठ गई है। होशियारपुर की तरफ से आते हुए रामा मंडी फ्लाईओवर के नीचे प्रवेश करने से पहले ही ठीक इसी तरह से लगभग 3 फीट हिस्सा बैठ गया है।
मनुपाल शर्मा, जालंधर। वाहन लेकर घर से निकल रहे हैं तो जरा सावधान होकर चलें। अब तो गली से लेकर हाइवे तक वाहन चलाना खतरनाक साबित होने लगा है। महानगर के अंदरूनी हिस्से की सड़कें कई जगह से बैठ चुकी हैं। इस कारण वाहनों और चालकों दोनों के लिए बड़ा खतरा बन गई हैं। शहर के अंदरूनी हिस्से की सड़कें तो गड्ढों में तब्दील हैं ही, अब हाईवे पर भी 2-4 फीट की चौडाई में सड़क बैठ गई है। पीएपी फ्लाईओवर के नीचे से निकलते ही रामा मंडी की तरफ जाती सड़क लगभग 3 फीट चौड़ाई में बैठ गई है। होशियारपुर की तरफ से आते हुए रामा मंडी फ्लाईओवर के नीचे प्रवेश करने से पहले ही ठीक इसी तरह से लगभग 3 फीट हिस्सा बैठ गया है। यह दूर से देखने पर नजर नहीं आता। तेजी से आ रहे वाहन एकाएक गड्ढे में गिरते हैं। दो पहिया चालक तो बमुश्किल संतुलन बना पाते हैं। लगभग आधा फुट गहरा गड्ढा इतना जोरदार झटका देता है कि चालक की रीढ़ से लेकर गर्दन की हड्डी तक हिल जाती है।
शहर के अंदर पुलिस लाइन के समक्ष फ्लाईओवर की तरफ जाती सड़क रामा मंडी फ्लाईओवर से ठीक पहले सर्विस लेन पर उतरता हिस्सा और होशियारपुर रोड की तरफ मुड़ रही सड़क पर बने गहरे गड्ढे लोगों का भारी नुकसान कर रहे हैं। शहर की मुख्य सड़कों और हाईवे की जर्जर स्थिति को लेकर सभी अवगत हैं लेकिन नगर निगम या नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) का उनकी मरम्मत की तरफ ध्यान नहीं है।
गड्ढों से गुजरना रीढ़ और गर्दन के लिए खतरनाक
आर्थोपेडिक सर्जन व ऑर्थोनोवा अस्पताल के संचालक डा. हरप्रीत सिंह ने कहा कि सड़कों पर पड़े गड्ढों से जो झटके मिलते हैं। वह डिस्क, रीढ़ की हड्डी और गर्दन की हड्डियों और मणकों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि नुकसान ज्यादा भी हो सकता है। मरीज को लंबे समय तक चलने फिरने में भी परेशानी आ सकती है।
टूटी सड़क के कारण नुकसान का हर्जाना मांग सकता है चालक
बार एसोसिएशन जालंधर के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ एडवोकेट आरके भल्ला ने कहा कि रोड टैक्स अदा करने वाला प्रत्येक वाहन मालिक निगम एवं एनएचएआई से टूटी हुई सड़क की वजह से हुए नुकसान या चिकित्सा खर्च के लिए सिविल कोर्ट या कंजूमर फोरम में हर्जाने की मांग कर सकता है। रोड टैक्स लेने के बाद सरकार या संबंधित एजेंसियों की जिम्मेदारी बनती है कि उम्दा रोड मुहैया करवाई जाए।