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वर्षों तक मैरिज पैलेस को मात देता रहा जालंधर के गुरु बाजार का जंजघर, एडवांस में होती थी बुकिंग

जालंधर के अंदरूनी एरिया गुरु बाजार के कश्यप राजपूत जंजघर की तो एडवांस में बुकिंग होती थी। छोटे-बड़े सभी यहीं विवाह समारोह आयोजित करते थे। आधुनिकता की मार ने आज इस जंजघर पर ताला लगा दिया है। 70 और 80 के दशक में यह सबकी पसंद होता था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 03:42 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 03:42 PM (IST)
वर्षों तक मैरिज पैलेस को मात देता रहा जालंधर के गुरु बाजार का जंजघर, एडवांस में होती थी बुकिंग
जालंधर गुरु बाजार स्थित कश्यप राजपूत जंजघर में आज ताला लगा है। (जागरण)

जालंधर [शाम सहगल]। पंजाब में मैरिज पार्टियों पर भारी भरकम खर्च का कल्चर शुरू से हो गया है। मैरिज पैलेस के बाद बड़े-बड़े रिजॉर्ट व होटलों ने भले ही अपना अस्तित्व कायम किया हो लेकिन शहर का एक जंजघर अतीत में होने वाले सादे विवाह समारोह की यादें ताजा करता है। आज आधुनिकता की मार ने इस जंजघर पर ताला लगा दिया है लेकिन 70 और 80 के दशक में विवाह समारोह के लिए यह सबसे बेहतर विकल्प होता था। शहर के अंदरूनी एरिया गुरु बाजार के कश्यप राजपूत जंजघर की तो एडवांस में बुकिंग होती थी।

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इस जंजघर में मैरिज पार्टी का ही नहीं बल्कि धार्मिक, सामाजिक तथा राजनीतिक गतिविधियों को भी गति मिलती रही। दरअसल, विभाजन के समय शहर का दायरा सीमित था। अली मोहल्ला पार करते ही जीटी रोड शुरू हो जाता था। इसके बाहर के क्षेत्र को बाहरी इलाका माना जाता रहा। यही कारण था कि लोग विवाह के लिए शहर की अंदरूनी जगह को तरजीह देते थे। इसी कारण गुरु बाजार का जंजघर सबसे बेहतर विकल्प होता था।

कई महीने पहले हो जाती थी बुकिंग

गुरु बाजार के रहने वाले दर्शन लाल कहते हैं कि पहले मैरिज पैलेस कल्चर नहीं था। सभी लोग जंजघर की ही बुकिंग करवाते थे।

गुरु बाजार के रहने वाले दर्शन लाल बताते हैं कि विवाह शादियों के लिए शहर के अंदरूनी इलाके में केवल गुरु बाजार का जंजघर ही एकमात्र विकल्प हुआ करता था। उस समय मैरिज पैलेस का कल्चर नहीं था। रिजॉर्ट के बारे में तो किसी ने सुना भी नहीं था। मैरिज पार्टी या अन्य आयोजन करने वाले इस जंजघर की बुकिंग कई माह पहले ही करवा देते थे।

वर्ग के हिसाब से होती थी सजावट

गुरु बाजार के हरप्रीत सिंह बताते हैं कि गुरु बाजार स्थित जंजघर में हर वर्ग के लोग मैरिज पार्टी करते थे। जुदा बात है कि संपन्न घराने के लोग इस जंजघर की सजावट अपने हिसाब से करते थे। इसमें जंजघर में प्रवेश करने से लेकर भोजन की व्यवस्था वाला क्षेत्र और कमरों को अलग-अलग लुक दी जाती थी।

रिश्तेदारों के रुकने और दुल्हन के मेकअप की व्यवस्था

इस जंजघर की खास बात यह है कि यहां पर मैरिज पार्टी करने के लिए विशाल हॉल के साथ-साथ कमरे भी हुआ करते थे। जंजघर में रिश्तेदारों को ठहराने की व्यवस्था करने के साथ-साथ दुल्हन को सजाने के लिए भी अलग से प्रबंध किया जाता था।

मांग घटी तो लगा ताला

समय के साथ बाजारों में हुए अतिक्रमण और तंग हुए बाजारों के चलते गुरु बाजार के इस जंजघर पर इस समय ताला लग चुका है। अब यहां पर बुकिंग करवाने वालों का भी रुझान नहीं रहा है।


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