जालंधर के प्रोफेसर ने बधिरों के लिए बनाया खास उपकरण, स्टेशन स्टेशन व एयरपोर्ट पर घोषणाओं को ऑटोमेटिकली सांकेतिक भाषा में बदलेगा
इस सिस्टम को लगाने से जब-जब घोषणा होगी तब तब एनिमेशन से बधिरों को एलईडी स्क्रीन पर साइन लैंग्वेज के जरिये संदेश दिया जा सकेगा। विकसित उपकरण न केवल भारत में बल्कि दुनिया में अपनी तरह के पहले उपकरण हैं।
जालंधर, जेएनएन। बधिर दिव्यांगों को अब रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट पर होने वाली घोषणाओं को समझने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। डीएवी कॉलेज के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ललित गोयल ने भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के स्वचालन में शोध करके उसके दो कापीराइट हासिल कर लिए हैं। विकसित उपकरणों की खास बात यह है कि इनका उपयोग हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर सार्वजनिक घोषणाओं को स्वचालित रूप से भारतीय सांकेतिक भाषा सिंथेटिक एनिमेशन में बदलने के लिए किया जा सकता है।
वे कहते हैं कि इस सिस्टम को लगाने से जब-जब घोषणा होगी तब तब एनिमेशन से बधिरों को एलईडी स्क्रीन पर साइन लैंग्वेज के जरिये संदेश दिया जा सकेगा। विकसित उपकरण न केवल भारत में बल्कि दुनिया में अपनी तरह के पहले उपकरण हैं। उनके साथ विश्वविद्यालय महाविद्यालय मीरानपुर पटियाला के कंप्यूटर विभाग में सहायक प्रो. राकेश कुमार का भी योगदान रहा। डॉ. ललित गोयल कहते हैं कि पंजाबी विश्व विद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डा. विशाल गोयल के साथ वह वर्ष 2013 से बधिर लोगों के लिए संचार प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
मौजूदा समय में सिंथेटिक एनिमेशन का उपयोग करके अंग्रेजी वाक्यों से भारतीय सांकेतिक भाषा में अपनी पहले से विकसित अनुवाद प्रणाली की सटीकता में सुधार करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा सार्वजनिक घोषणा प्रणाली के विकास के साथ, वे अलग-अलग परियोजनाओं के लिए विभिन्न परियोजनाओं में भी शामिल हैं। जिनमें सक्षम लोगों जैसे हिंदी से आईएसएल में अनुवाद प्रणाली, पंजाबी से आईएसएल में अनुवाद प्रणाली और भारतीय सांकेतिक भाषा में स्वचालित समाचार प्रसारण प्रणाली आदि शामिल है।
प्रिंसिपल डा. एसके अरोड़ा ने इस उपलब्धि के लिए डॉ. ललित गोयल को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह शोध कार्य हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर दिव्यांग जनों की संचार बाधाओं को दूर करने के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।