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जालंधर के डीएवी कॉलेज में मनाया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, स्टूडेंट्स को बताया इसका महत्व

डीएवी के प्रिंसिपल डा. एसके अरोड़ा ने कहा कि यह दिन महिलाओं को अधिकार देने का दिन है। महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण को लेकर अनेकों योजनाएं तैयार की जाती हैं लेकिन सफलता तभी मिलेगी जब हर महिला अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर पहला कदम खुद बढ़ाएगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 10 Mar 2021 04:59 PM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 04:59 PM (IST)
जालंधर के डीएवी कॉलेज में मनाया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, स्टूडेंट्स को बताया इसका महत्व
जालंधर के डीएवी कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया।

जालंधर, जेएनएन। डीएवी कालेज के एनएसएस और रेड रिबन क्लब की ओर अंतरराष्ट्री महिला दिवस पर विशेष कार्यक्रम करवाया गया। इसमें मुख्य वक्ता सामाजिक विज्ञान की प्रो. रंजना मेघ रहीं। उन्होंने बताया कि यह दिन महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्यार प्रकट करने का है। इसे उनरी शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिला जागरूकता और सशक्तीकरण का आयोजन है। उन्होंने कहा कि जानकारी और जागरूकता महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव मिटाने के सबसे बड़े हथियार हैं।

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प्रो. रंजना मेघ ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत तब हुई जब वर्ष 1857 में न्यूयॉर्क शहर में पोशाक बनाने वाले एक कारखाने की महिलाएं समान अधिकारों, काम करने की अवधि में कमी, कार्य अवस्था में सुधार की मांग करते हुए जुलूस निकाल कर सड़कों पर उतर आई थीं। सन् 1910 में महिलाओं की समस्याओं के समाधान हेतु बीजिंग में एक विश्व सभा बुलाई गई थी। उसी दिन की स्मृति में प्रतिवर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था। शिक्षा पाकर लड़कियां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी तो आर्थिक आजादी के साथ ही समानता की भावना भी पनपेगी। महिलाओं में अधिकारों के प्रति जागरूकता जरूरी है। तभी वे अपनी सुरक्षा खुद कर पाएंगी, तब समाज, पुलिस और कानून भी उनकी मदद करेगा।

प्रिंसिपल डा. एसके अरोड़ा ने कहा कि यह दिन महिलाओं को अधिकार और महत्व देने का दिन है। महिलाओं की सुरक्षा, कल्याण एवं सुरक्षित मातृत्व को लेकर अनेकों योजनाएं तैयार की जाती हैं। इस दिशा में कई संस्थाएं कार्यरत हैं, लेकिन सफलता तभी मिलेगी जब हर महिला अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर पहला कदम खुद बढ़ाए। भारत में एक तरफ महिलाएं अपनी मेधाशक्ति, मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर धरातल से आसमान तक की ऊंचाइयों को छू कर देश को गौरवान्वित कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ बहुत जगहों पर वह ना वह जन्म से पहले सुरक्षित है, ना जन्म के बाद। महिलाओं के साथ छेड़छाड़, सामूहिक दुष्कर्म जैसी की घटनाएं हो रही हैं। महिलाएं पूरे देश में असुरक्षित हैं। हमें उनको सशक्त करना है ना की कमजोर। इस मौके पर प्रो. साहिब सिंह, प्रो. गुरजीत कौर, प्रो. निधि अग्रवाल, प्रो. गगन मदान सहित विद्यार्थी मौजूद थे।


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