सिविल अस्पताल से रोजाना निकल रहा 95 किलो कोविड-19 बायो-मेडिकल वेस्ट, यूं किया जाता है निस्तारण
सिविल अस्पताल जालंधर में कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती दौर में अस्पताल से रोजाना 30-40 किलो बायो मेडिकल वेस्ट निकलता था जो अब बढ़कर 90-95 किलो पहुंच गया है।
जालंधर [जगदीश कुमार]। कोरोना वायरस की दस्तक के साथ ही इसके बायो मेडिकल वेस्ट के रखरखाव को लेकर भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सिविल अस्पताल में कोरोना पीडि़तों की संख्या बढऩे के साथ ही बायो मेडिकल वेस्ट भी काफी बढ़ा है। शुरुआती दौर में अस्पताल से रोजाना 30-40 किलो बायो मेडिकल वेस्ट निकलता था, जो अब बढ़कर 90-95 किलो पहुंच गया है।
कूड़े के डंप, मास्क और ग्लव्स लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) बायो मेडिकल वेस्ट के रखरखाव को लेकर नीतियों में भी बदलाव किया है। नीतियों को सख्ती से लागू करने के लिए सिविल अस्पताल प्रशासन ने सजगता बरती है। यहां कोरोना के बायो मेडिकल वेस्ट के रखरखाव को लेकर एक नोडल अफसर भी तैनात कर दिया है।
डबल पीले लिफाफे के बाद ड्रम में होता है पैक
सिविल अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट रखरखाव के लिए बतौर नोडल अफसर तैनात डॉ. एएस रियाड़ ने बताया कि कोविड-19 वार्ड में डॉक्टरों व स्टाफ के किट बदलने के लिए विशेष कमरा तैयार किया गया है। प्रवेश करते ही स्टाफ पीपीई किट डालते है और मरीजों की जांच के बाद बंद कमरे में ही किट को उतारकर दस फीसद हाईपोक्लोराइड सॉल्यूशन का छिड़काव कर उसे पैक कर देते हैं। उसके बाद खुद सैनेटाइज होकर ही बाहर निकलते हैं। वार्ड में पीले रंग के ड्रम लगाए गए है। मरीजों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को वहां इकट्ठा किया जाता है। सफाईकर्मी खुद भी पीपीई किट डालकर पीले रंग के लिफाफे में हाईपोक्लोराइड सॉल्यूशन का स्प्रे कर उसे पैक करते हैं।
इस पैक्ड लिफाफे को दूसरे पीले लिफाफे में स्प्रे कर पैक किया जाता है। इस पर कोविड-19 का लेबल भी लगाते हैं। इसके बाद सतर्कता बरतते हुए इसे बायो मेडिकल वेस्ट वाले कमरे में पहुंचाया जाता है। इसे लेने के लिए बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण करने वाली रेनबो कंपनी की ओर से अस्पताल को विशेष ड्रम मुहैया करवाए गए हैं। अस्पताल के मुलाजिम इन पीले लिफाफे में बंद वेस्ट को उसी ड्रम में डालते हैं। रोजाना आठ से दस ड्रम पैक किए जा रहे हैं। इसे ले जाने के लिए भी कंपनी विशेष गाड़ी भेजती है।
पीपीई किट पहनकर ही पैकिंग करते हैं मुलाजिम
सिविल अस्पताल सफाई मुलाजिम यूनियन के प्रधान ओम प्रकाश का कहना है कि सफाईकर्मी पीपीई किट मिलने पर कोविड-19 बायो मेडिकल वेस्ट की पैकिंग करते है। किट न मिलने पर मुलाजिम पैकिंग करने से मना कर देते हैं। सफाईकर्मी भी कोविड-19 वार्ड में सफाई करने के लिए पीपीई किट पहन कर ही जाते है। शुरुआती दौर में पीपीई किटों की समस्या भी आई थी। मुलाजिमों की ओर से रोष व्यक्त करने पर समस्या का समाधान हुआ।
सील इलाकों का कूड़ा भी कंपनी ले जाती है : ज्वाइंट कमिश्नर
नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर हरचरण सिंह का कहना है कि शहर में क्वारंटाइन किए गए परिवारों व सील किए गए इलाकों से मोहाली की रेनबो कंपनी की गाड़ी ही कचरा लेकर जाती है। हर घर से रोजाना करीब 300 से 500 ग्राम कचरा निकल रहा है। बीमारी के खतरे को लेकर कंपनी को काम सौैंपा गया है। इस कंपनी को पेमेंट भी नगर निगम ही करेगा। इससे बायो मेडिकल वेस्ट से बीमारी फैलने का खतरा कम रहता है।
आम लोगों के घरों की समस्या
आम लोग, पुलिस, प्रशासन भी कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क, दस्ताने आदि इस्तेमाल कर रहे हैं। घरों में कूड़ा एक साथ इकट्ठा किया जाता है, जिसका कोई पक्का सिस्टम नहीं है। कूड़े के डंप पर मास्क व दस्ताने मिलना है। जिला एपीडिमोलॉजिस्ट डॉ. सतीश शर्मा कहते है कि घरों से जो कूड़ा निकलता है, उसमें प्लास्टिक, कार्ड बोर्ड व मेटल आदि मिक्स होता है। उन पर कोरोना वायरस रह जाता है। इस वायरस की लाइफ 24 से 72 घंटे के बीच है। इससे कूड़ा इकट्ठा करने वालों को भी इंफेक्शन का खतरा है। खतरे को टालने के लिए जरूरी है कि कूड़ा अलग-अलग करके रखा जाए। कोविड वेस्ट को डस्टबिन में अच्छी तरह बैग या पॉलीथिन में एयरटाइट बंद करके 72 घंटे के लिए छोड़ दें।
ये हैं नीतियां
आइसोलेशन वार्ड, कलेक्शन सेंटर्स, टेस्टिंग लैब: कोविड-19 वेस्ट के लिए अलग-अलग रंग के और डबल लेयर्ड बैग या डिब्बे रखे जाने चाहिए। उन पर कोबिड-19 का लेबल लगा होना चाहिए। जिन ट्रॉली से कोविड वेस्ट ले जाया जा रहा, उन्हें किसी दूसरे कचरे के लिए इस्तेमाल न करें। जो सैनिटेशन स्टाफ कोविड-19 के कचरे को हैंडल कर रहा है, उन्हें दूसरे कचरे को हैंडल करने के लिए नहीं लगाया जाए।
क्वारंटाइन सेंटर: बायो मेडिकल वेस्ट पीले बैग में इकट्ठा करना होगा। फिर उसे नीतियो की पालना करते हुए बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी में भेज देना चाहिए।
होम क्वारंटाइन: जो लोग घर पर हैं, उन्हें बायो मेडिकल वेस्ट अलग करके पीले बैग में रखना होगा। ये कचरा, स्थानीय प्रशासन द्वारा नियुक्त किए गए वेस्ट कलेक्शन स्टाफ को देना चाहिए।
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