Jalandhar Corona Vaccination: जालंधर में कोविशिल्ड का स्टाक खत्म, सिविल अस्पताल ने लौटाए लोग
Jalandhar Corona Vaccination कोरोना वैक्सीन की कमी का सिलसिला जारी है। बुधवार को वैक्सीन की कमी के चलते कुछ लोगों को निराशा झेलनी पड़ी। सेंटरों से बिना डोज लगवाए लौटना पड़ा। सिविल अस्पताल में भी पहली डोज लगवाने वाले कई लोगों को वापस भेजा गया।
जालंधर, जेएनएन। कोरोना वैक्सीन की कमी का सिलसिला जारी है। बुधवार को वैक्सीन की कमी के चलते कुछ लोगों को निराशा झेलनी पड़ी। सेंटरों से बिना डोज लगवाए लौटना पड़ा। सिविल अस्पताल में भी पहली डोज लगवाने वाले कई लोगों को वापस भेजा गया। स्टाफ ने उन्हें वीरवार को वैक्सीन का स्टाक पहुंचने पर दोबारा बुलाया है। सेहत विभाग के अनुसार बुधवार को स्टाक में कोवैक्सीन की केवल तीन हजार डोज बची और कोविशील्ड की जीरो। सिविल अस्पताल में कोविशिल्ड लगाने के लिए फिल्लौर से दो सौ डोज मंगवाई गई है। जिला टीकाकरण अधिकारी डा. राकेश चोपड़ा का कहना है कि बुधवार को जिले के 290 सेंटरों में से 203 सेंटरों में 9215 लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई। इनमें 1945 दूसरी डोज लगवाने वाले शामिल है।
कोविशिल्ड की दूसरी डोज 8-10 सप्ताह तक लगवा सकते हैं
जालंधर। कोरोना वायरस को मात देने के लिए दूसरी डोज लगवाने को लेकर होने वाले फेरबदल का सिलसिला जारी है। जिला टीकाकरण अधिकारी डा. राकेश चोपड़ा ने बताया कि अब केंद्र सरकार ने दूसरी डोज को लेकर दोबारा गाइडलाइन जारी की है। दूसरी डोज 8 से 10 सप्ताह के बीच में लगवाई जा सकती है। इस अवधि में डोज लगवाने से बेहतरीन नतीजे सामने आए है। शुरुआती दौर में यह अंतराल 4 से 6 सप्ताह था। बाद में इसे 6 से 8 सप्ताह और अब आठ से दस सप्ताह कर दिया है। कोवैक्सीन की दूसरी डोज 4 से 6 सप्ताह के भीतर ही लगवाए जाने की गाइडलाइन है।
75} बेड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व करें: डीसी
जालंधर। डीसी घनश्याम थोरी ने कोविड-19 के मरीजों के लिए सभी अस्पतालों में बेडों के सामथ्र्य को कम से कम 75 प्रतिशत आरक्षित रखने की अपील की है। डीसी ने कहा कि रूटीन सर्जरी को पहले ही अगले आदेशों तक बंद रखने के लिए कहा गया है। सभी अस्पतालों को महामारी के दौरान जीवन रक्षक गैस की पूर्ति के लिए आक्सीजन कंसनटरेटर का प्रयोग करने के लिए भी कहा गया है। ओपीडी में आने वाले मरीजों की अधिक से अधिक टे¨स्टग और वैक्सीनेशन करने के आदेश भी दिए, क्योंकि वहां संभावी वायरस कैरियरों का पता लगाया जा सकता है। आक्सीजन की कालाबाजारी करने वालों परएफआइआर होगी।