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कोरोना से भी क्रूर है सिस्टम, जालंधर सिविल अस्पताल में 20 कदम तय करने में Covid पेशंट को लगे 70 मिनट

मकसूदां के किडनी रोगी प्रेम बहादुर की तबीयत काफी खराब हो गई। उनका बेटा काफी मशक्कत करके उन्हें सिविल अस्पताल में लेकर पहुंचा। पहले रैपिड टेस्ट के लिए लाइन में लगे। पॉजिटिव आने पर बड़ी मुश्किल से उन्हें इमरजेंसी में दाखिल किया गया।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 10:48 AM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 10:48 AM (IST)
कोरोना से भी क्रूर है सिस्टम, जालंधर सिविल अस्पताल में 20 कदम तय करने में Covid पेशंट को लगे 70 मिनट
मकसूदां के प्रेम बहादुर को रैपिड टेस्ट करवाने और सिविल अस्पताल में दाखिल होने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

जालंधर, [विजय शर्मा]। कोरोना वायरस ने देश भर में कोहराम मचा रखा है। जालंधर भी इससे अछूता नहीं है। महानगर में रोजना 500 से ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं। मौतों का सिलसिला भी जारी है। कई मरीजों की जांच और इलाज भगवान भरोसे है। शुक्रवार को एक मरीज को सिविल अस्पताल में ही 20 कदम की दूरी तय करने में 70 मिनट का समय लगा। अस्पताल प्रशासन की अव्यवस्था का आलम सुविधाओं की राह में आड़े आ रहा है।

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रैपिड टेस्ट के लिए लाइन में लंबा इंतजार 

मकसूदां के किडनी रोगी प्रेम बहादुर की तबीयत काफी खराब हो गई। उनका बेटा काफी मशक्कत करके उन्हें सिविल अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आया। बेटे के कंधे पर सिर रखकर प्रेम बहादुर काफी धीमे चल रहे थे। उनको दाखिल करवाने से पहले कोरोना जांच करवाने की बात कही गई। वह फ्लू कार्नर में पहुंचे तो उन्हें पहले लंबी लाइन में लग कर कागजी कार्रवाई पूरी की और उसके बाद उनका रैपिड टेस्ट किया गया। 

मरीज को इमरजेंसी में दाखिल करने में टालमटोल

टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार करने के लिए बेटे ने पिता को फ्लू कार्नर के बाहर थोड़ी दूरी पर एक पेड़ के नीचे लिटा दिया। करीब 40 मिनट बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई और बेटे को थोड़ी निराशा हुई। बेटा पिता वहां छोड़ कर इमरजेंसी में दाखिल करवाने के लिए पूछताछ करने के लिए गया। इस दौरान वहां मौजूद स्टाफ टालमटोल करने लगा। दैनिक जागरण की टीम को देखा तो अस्पताल के स्टाफ ने नरम रवैया अपनाया और मरीज को दाखिल करने के लिए सहयोग करना शुरू किया। इसके बाद बेटा व्हीलचेयर लेकर गया और पिता को बिठाकर कोरोना इमरजेंसी वार्ड में पहुंचा और उसे दाखिल करवाया। इस पूरे प्रकरण के लिए उन्हें 70 मिनट का समय लग गया।

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