Move to Jagran APP

जालंधर सिविल अस्पताल में आज भी डाक्टर करेंगे रोष प्रदर्शन, नहीं होगी मरीजों की जांच; ओपीडी रहेगी बंद

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ सरकारी डाक्टरों का संघर्ष जारी है। राज्य सरकार ने डाक्टरों की मांगों को लेकर कोई फैसला नहीं लिया और टाल मटौल का सिलसिला जारी है। इसके बाद मंगलवार को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी बंद रहेगी।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 11:12 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 11:12 AM (IST)
जालंधर सिविल अस्पताल में आज भी डाक्टर करेंगे रोष प्रदर्शन, नहीं होगी मरीजों की जांच; ओपीडी रहेगी बंद
डाक्टरों ने 23 जुलाई तक हड़ताल जारी रखने की घोषणा कर दी है।

जागरण संवाददाता, जालंधर। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ सरकारी डाक्टरों का संघर्ष जारी है। राज्य सरकार ने डाक्टरों की मांगों को लेकर कोई फैसला नहीं लिया और टाल मटौल का सिलसिला जारी है। इसके बाद मंगलवार को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी बंद रहेगी। डाक्टरों ने 23 जुलाई तक हड़ताल जारी रखने की घोषणा कर दी है। इस दौरान सिविल अस्पताल में धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा।

loksabha election banner

एसोसिएशन के प्रधान डाक्टर प्रदीप शर्मा और डॉक्टर वरिंदर रियाड़ ने कहा कि डाक्टरों ने एनपीए बढ़ाने के लिए सरकार के समक्ष मांग रखी थी। वही राज्य सरकार ने इसमें पांचवी फीसदी की कटौती कर दी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो संघर्ष तेज होगा। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी बंद रहेगी।डॉक्टर धरना प्रदर्शन वाली जगह पर चल रही ओपीडी भी नहीं करेंगे। 23 को डाक्टर चंडीगढ़ में सीएमओ का घेराव करेंगे। मंगलवार को हड़ताल नौवें दिन में प्रवेश कर जाएगी और सरकार ने अभी तक लोगों को हो रही समस्याओं के समाधान के बारे में भी फैसला नहीं लिया है। इसके बाद अगली रणनीति पीसीएमएस डॉक्टर एसोसिएशन की राज्य स्तरीय कार्यकारिणी की बैठक में तह की जाएगी।

इससे पहले सोमवार को सरकारी डाक्टरों ने संघर्ष जारी रखा। इमरजेंसी वार्ड में भी मरीजों को इलाज के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। मरीजों को सही समय पर इलाज न मिलने से वह दर्द के मारे चिल्लाते रहे। सिविल अस्पताल में सांप के डसे मरीज के इलाज के लिए स्वजनों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। डाक्टरों के इलाज के बावजूद उसकी पीड़ा कम नहीं हुई और वह चिल्लाता रहा। हालांकि डाक्टरों व मौके पर तैनात स्टाफ ने उसे ग्लूकोज लगाकर वार्ड में शिफ्ट कर दिया और कहा कि इसका ऐसे ही इलाज होना है। दर्द धीरे-धीरे कम होगा। डाक्टरों ने प्रदर्शन कर दरियों पर ओपीडी चलाई और 57 मरीजों की जांच की। जच्चा-बच्चा सेंटर में जांच करवाने के लिए गर्भवती महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.