एडिड स्कूलों से सौतेला व्यवहार ना करे सरकार, जालंधर में कर्मचारियों ने शिक्षा सचिव के नाम सौंपा मांग पत्र
कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि सरकारी स्कूलों की तर्ज पर साल 2019-2020 का स्पोर्ट्स फंड हिस्सा स्कूलों में ही रहने दिया जाए। जो स्कूल फंड में 80% हिस्सा जमा करवा चुके है उन स्कूलों का पैसा वापस भेज दिया जाए।
जालंधर, जेएनएन। एडिड स्कूलों ने पंजाब में शिक्षा के प्रसार में अहम भूमिका अदा की है। आज सरकारी नीतियों के कारण ये असहाय महसूस कर रहे है। एडिड स्कूलों में भी सरकारी स्कूलों की तरह ज्यादातर जरूरतमंद परिवारों के बच्चे ही शिक्षा ग्रहण करते हैं। इन स्कूलों में सरकारी नियम ही लागू होते हैं पर सरकार की नीतियां कर्मचारियों के साथ-साथ विद्यार्थियों के साथ भी सौतेला रवैया अपनाती है। इसके विरोध स्वरूप कर्मचारी एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल मंडल यूनियन के प्रदेश प्रेस सचिव मनीष अग्रवाल की अध्यक्षता में जिला शिक्षा अधिकारी से मिला और उन्हें अपनी समस्याएं बताईं। उन्होंने उन्हें शिक्षा मंत्री के नाम एक मांग पत्र भी सौंपा।
कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि सरकारी स्कूलों की तर्ज पर साल 2019-2020 का स्पोर्ट्स फंड हिस्सा स्कूलों में ही रहने दिया जाए। जो स्कूल फंड में 80% हिस्सा जमा करवा चुके है उन स्कूलों का पैसा वापस भेज दिया जाए। इस पैसे को एडिड स्कूल भी अपने स्कूलों में अपनी जरूरतों के अनुसार खेल के विकास के लिए खर्च कर सकेंगे। वैसे भी साल 2020-21 के दौरान खेल प्रतियोगिता का आयोजन नहीं किया जा सका। कोविड-19 के कारण एडिड स्कूलों को भी भारी आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
एडिड स्कूलों के बच्चों के लिए मांगी सरकारी स्कूलों जैसी सुविधाएं
एडिड स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए उन सभी सुविधाओं की मांग की गई जो सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को मिलती है। इसमें विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन, वर्दी के लिए ग्रांट, कंप्यूटर और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ग्रांट, स्मार्ट क्लास रूम के लिए, साइंस लैब आदि के विकास के लिए ग्रांट जारी करने की अपील की गई। इस अवसर पर जिला जालंधर इकाई के अध्यक्ष प्रदीप सिंह, प्रदेश सचिव लाल जी दास, सचिव जसवीर सिंह, जुगराज सिंह, चंद्रशेखर आदि उपस्थित थे।