Jalandhar, Punjab Lok Sabha Election 2019: कांग्रेस और गठबंधन की लड़ाई के बीच आया 'हाथी'
पंजाब के दोआबा क्षेत्र की जालंधर सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। पिछले चार लोकसभा चुनाव से यहां कांग्रेस का ही परचम लहरा रहा है।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब के दोआबा क्षेत्र की जालंधर सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। पिछले चार लोकसभा चुनाव से यहां कांग्रेस का ही परचम लहरा रहा है। कुल मिलाकर आजादी के बाद से हुए चुनावों में 13 बार कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं। इस बार मौजूदा सांसद चौधरी संतोख सिंह दूसरी बार मैदान में हैैं। उनका अकाली-भाजपा प्रत्याशी चरणजीत सिंह अटवाल से सीधा मुकाबला है। हालांकि बसपा (पीडीए) के बलविंदर सिंह तेजी के साथ घुसपैठ कर रहे हैं। इस बार 'हाथी' की सेंधमारी 'पंजे' को भारी पड़ सकती है। आप उम्मीदवार रिटायर्ड जस्टिस जोरा सिंह फिलहाल पिछले चुनाव में बने आप के वोट बैंक को बचाने की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं। यह एक अनुसूचित जाति आरक्षित सीट है।
रविदास बिरादरी के सबसे ज्यादा वोटर, दूसरे नंबर पर वाल्मीकि बिरादरी
वोट बैंक की लड़ाई इस बार भी पिछले चुनावों के इतिहास को दोहरा रही है। जालंधर में रविदास बिरादरी के सबसे ज्यादा वोट हैं। दूसरे नंबर पर वाल्मीकि बिरादरी के मतदाता हैं। दोनों ही बिरादरियों को अलग-अलग उम्मीदवारों के साथ बांटकर चुनावी हार-जीत का आंकलन किया जा रहा है। कांग्रेस अाैर अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवारों के अलावा चुनावी मैदान में डटे 19 उम्मीदवारों में से ज्यादातर इन्हीं बिरादरियों से संबंधित हैं।
स्थानीय बनाम बाहरी
अकाली दल ने दो महीने पहले ही अटवाल को चुनावी मैदान में उतार दिया था। जिस समय कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर मारामारी चल रही थी उस समय अटवाल जनसंपर्क में लगे थे। अटवाल जालंधर से दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं तो चौधरी संतोख सिह जालंधर के ही रहने वाले हैं। स्थानीय बनाम बाहरी के समीकरण भी इस सीट पर एक मुद्दा हैै। अटवाल लुधियाना से हैं।
अकाली दल के सामने शहरी मतदाताओं को रिझाने की चुनौती
अकाली दल अभी तक के चुनावी इतिहास में देहाती इलाकों से जीतता आया है, लेकिन शहरी मतदाताओं ने अकाली दल को हमेशा ही नकारा है। भाजपा के साथ गठबंधन के बाद यह स्थिति जरूर बीते चार चुनावों से सुधर रही है। इस बार पीएम मोदी के नाम पर अकाली-भाजपा उम्मीदवार अटवाल चुनाव प्रचार में जुटे हैं तो चौधरी खुलकर बेअदबी को मुद्दा बना रहे हैं। दोनों उम्मीदवारों की साफ छवि एक-दूसरे के लिए चुनौती है। शिक्षा में भी दोनों उम्मीदवार एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। नतीजतन उम्मीदवारों की छवि के मामले में मतदाता जरूर असमंजस में है कि दोनों में से किसे चुना जाए। पिछला चुनाव चौधरी केवल अपनी छवि पर जीते थे। अब पांच सालों में सांसद रहते हुए उनकी छवि कितनी बनी या बिगड़ी है, इसकी भी परीक्षा इस चुनाव में है।
2014 में आप की ज्योति मान को मिले थे 2.54 लाख वोट
आप की ज्योति मान ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 2.54 लाख वोट लेकर सभी को चौंका दिया था। जालंधर में पहली बार किसी तीसरे दल को इतने वोट मिले थे। यही वजह है कि आप के जोरा सिंह के लिए इस वोट बैंक को बचा पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। अभी तक के चुनावी प्रचार व चुनावी बयार से ऐसा मुश्किल लग रहा है। मनीष सिसोदिया के रोड शो से भी ज्यादा स्थिति नहीं सुधरी है।
खेल नगरी के नाम से प्रसिद्ध है जालंधर
हॉकी के मक्का व खेल नगरी के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध इस सीट पर कांग्रेस व अकाली-भाजपा गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई में बसपा (पीडीए) के युवा उम्मीदवार बलविंदर कुमार पर सभी की नजरें हैं। जालंधर में बसपा का करीब 80 हजार वोटों का बैंक पिछले चुनाव में खिसक कर 46 हजार पर चला गया था। बलविंदर इसे कवर करने के साथ ही आप व कांग्रेस के वोट बैंक में तेजी से सेंधमारी कर रहे हैं।
विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति
विधानसभा चुनाव में नौ हलकों में से चार में अकाली दल जीता था। इसके बाद शाहकोट उपचुनाव में कांग्रेस जीत गई। अकाली दल फिल्लौर, नकोदर और आदमपुर में मजबूत है। करतारपुर और कैंट हलके में भी अकाली दल की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। नॉर्थ और वेस्ट हलके में कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है। इन सबके बीच शाहकोट सीट सबसे अहम है। कभी अकाली दल को बड़ी लीड दिलाने वाले शाहकोट में इस समय कांग्रेस की हवा दिख रही है।
जातीय समीकरण
सिख वोटर -32.75 फीसद
हिंदू वोटर -63.56 फीसद
मुस्लिम -1.38 फीसद
ईसाई -1.19 फीसद
कुल वोटरः 16.15 लाख
महिला वोटरः 7.73 लाख
पुरुष वोटरः 8.70 लाख
फर्स्ट टाइम वोटरः 20 हजार
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लाेकसभा चुनाव 2014
प्रत्याशी पार्टी वोट मिले
चौधरी संतोख सिंह कांग्रेस 3,80, 479 (70981 वोटों से जीते)
पवन टीनू अकाली-भाजपा 3,09,498
ज्योति मान अाम आदमी पार्टी 2,54,121
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