विदेशी यूनिवर्सिटी प्रोग्राम से विद्यार्थियों की राह हुई आसान
हर साल राज्य से डेढ़ से दो लाख विद्यार्थी विदेशों में पढ़ने जाते हैं।
जासं, जालंधर : हर साल राज्य से डेढ़ से दो लाख विद्यार्थी विदेशों में पढ़ने जाते हैं। इस बार विदेशी यूनिवर्सिटियों ने स्टूडेंट वीजा पर रोक लगा दी है। उन्हें ऑनलाइन ही पढ़ाई करने का अवसर दिया है। विद्यार्थियों को देश में ही रहते हुए ऑनलाइन क्लास के बदले डॉलरों में फीस देनी पड़ रही है। इस कारण विद्यार्थियों का रुख देश की यूनिवर्सिटियों की तरफ बढ़ गया है। देश की कई यूनिवर्सिटियों का विदेश की यूनिवर्सिटियों से समझौता है, जिसके तहत दो साल विद्यार्थी देश में रहकर पढ़ सकते हैं और तीसरे साल से विदेश में आगे की पढ़ाई कर सकते हैं। मौजूदा समय में विद्यार्थियों में इंजीनियरिग, एमबीए, होटल मैनेजमेंट और एनिमेशन की तरफ ज्यादा रुझान बढ़ा है।
इस संबंध में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के एडिशनल डायरेक्टर अमन मित्तल का कहना है कि कोविड-19 की वजह से बने हालातों में बाहर जाने वाले विद्यार्थियों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। कनाडा में हर साल लाखों विद्यार्थी पढ़ने जाते हैं। एलपीयू का 200 यूनिवर्सिटी के साथ करार है। विद्यार्थी विदेश में पढ़ना चाहते हैं। लेकिन इन दिनों हालात ऐसे हैं कि उन्हें ऑनलाइन क्लासों के लिए भी डॉलरों में फीसें देनी पड़ रही है। अगर ऑनलाइन ही शिक्षा लेनी है तो देश में रहते हुए भी संभव है। यही कारण है कि विद्यार्थियों का रुझान विदेशी यूनिवर्सिटियों द्वारा चलाए गए प्रोग्राम में बढ़ने लगा है। जिसमें दो साल एलपीयू में पढ़ने के बाद तीसरे वर्ष संबंधी देश की यूनिवर्सिटी में जाकर आगे की पढ़ाई जारी की जा सकती है। ऐसे में डिग्री भी वहीं की मिलती है। वे कहते हैं कि स्टूडेंट विदेश में पढ़ने के साथ-साथ वहां की पीआर लेने जाते हैं। ऐसे में उन देशों का नियम यही है कि डिग्री उनके यहां की यूनिवर्सिटी से ही होनी चाहिए। इस वजह से यह विकल्प बेहद कारगर साबित हो रहे हैं।