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International Yoga Day 2022: जालंधर के देश भगत यादगार हाल पहुंचे लखनऊ से चले दिव्यांग, 21 जून को लेह लद्दाख में करेंगे योग

यात्रा पर निकले दिव्यांग दोस्त मंगलवार शाम को देश भगत यादगार हाल पहुंचे जहां शहरवासियों की तरफ से उनका स्वागत किया गया। दिव्यांग योद्धाओं ने इस सफर और अभियान से जुड़े तजुर्बे भी सांझा किए। यह यात्रा लखनऊ दिल्ली चंडीगढ़ से होते हुए जालंधर पहुंची।

By DeepikaEdited By: Published: Wed, 15 Jun 2022 10:42 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2022 10:42 AM (IST)
International Yoga Day 2022: जालंधर के देश भगत यादगार हाल पहुंचे लखनऊ से चले दिव्यांग, 21 जून को लेह लद्दाख में करेंगे योग
चार हजार किलोमीटर की यात्रा पर निकले छह दिव्यांग योद्धा। (जागरण)

जागरण संवाददाता, जालंधर: शारीरिक तौर पर दिव्यांग होना कोई कमी नहीं है। खुद पर विश्वास और हौसला बुलंद होना चाहिए। फिर क्या उसी बुलंद हौसले से ऊंचे से ऊंचे पहाड़ तक को लांघा जा सकता है। इसी सोच के साथ छह दिव्यांगों ने आजादी के अमृत महोत्सव को खास ढंग से मनाने के लिए लखनऊ से लद्दाख तक की 400 किलोमीटर तक की यात्रा का सफर चुना है। इसमें वे खुद कार चलाकर इस यात्रा को पूरा करेंगे और 21 जून को लद्दाख में विश्व अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग करेंगे।

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इस अभियान के जरिए सुनील मंगल, अभय प्रताप सिंह, अविनाश, रविकांत, वीर सिंह व विजय सिंह बिष्ट देश के प्रत्येक कोने और जन-जन तक संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि दिव्यांग सब कुछ कर सकते हैं। वो किसी से कम नहीं हैं। इसी सोच को साकार करने के लिए यात्रा पर निकले दिव्यांग दोस्त मंगलवार शाम को देश भगत यादगार हाल पहुंचे, जहां शहरवासियों की तरफ से उनका स्वागत किया गया। दिव्यांग योद्धाओं ने इस सफर और अभियान से जुड़े तजुर्बे भी सांझा किए। यह यात्रा लखनऊ, दिल्ली, चंडीगढ़ से होते हुए जालंधर पहुंची। यहां से आगे वो अमृतसर, जम्मू, श्रीननगर, कारगिल से लेह लद्दाख पहुंचेंगे।

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यात्रा संयोजक सुनील मंगल ने बताया कि हर किसी में भ्रम फैला हुआ है कि दिव्यांग कार नहीं चला सकते। आज जरूरत सोच बदलने की है। दिव्यांग हुए तो क्या हुआ कार न चला पाने की सोच को बदलें। ऐसा ही उन्होंने किया। स्क्वार्डन लीडर अभय प्रताप सिंह कहते हैं कि देश भर में कोई मैसेज पहुंचाना हो तो कुछ बड़ा सोचना व करना पड़ता है। इसी सोच को सार्थक करने के लिए विश्व योग दिवस पर लेह लद्दाख में पहुंच कर योग करने का मन बनाया, ताकि सभी को पता चल सके कि दिव्यांग कुछ न कुछ कर रहे हैं।

भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान वीर सिंह का कहना है कि इस अभियान के जरिए व्हीलचेयर क्रिकेट को भी प्रमोट करना है, ताकि दिव्यांग खेल से जुड़े और अपनी शारीरिक कमी को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ें। इसी सोच के साथ सभी दोस्त इकट्ठे हुए और मिलकर इस अभियान के साथ जुड़े। उनका यह भी कहना है कि दिव्यांगों के लिए योजनाएं तो सरकारें खूब बनाती हैं, मगर कागजी कार्रवाई के सिवा कुछ नहीं होता।


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