सिविल अस्पताल में बढ़े वायरल और डेंगू के मरीज
जागरण संवाददाता, जालंधर: सिविल अस्पताल में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट की रिटायरमेंट के बाद पिछले करीब तीन सप्ताह से आर्थिक संकट खड़ा हो चुका है। मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते आर्थिक तंगी से सेवाएं प्रभावित होने लगी हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर: सिविल अस्पताल में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट की रिटायरमेंट के बाद पिछले करीब तीन सप्ताह से आर्थिक संकट खड़ा हो चुका है। मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते आर्थिक तंगी से सेवाएं प्रभावित होने लगी हैं। अस्पताल प्रशासन फंड होने के बावजूद खर्च करने में असमर्थ है। सिविल अस्पताल के मेडिकल वार्ड व ओपीडी में आने वाले मरीजों में 70-80 फीसदी वायरल व डेंगू बुखार के लक्षणों से पीड़ित हैं। डाक्टर व स्टाफ मरीजों की सेहत में थोड़ा सा सुधार होते ही घर भेजने की कवायद कर रहे हैं। बीमारी से तंग मरीज इस रवैये को लेकर रोष व्यक्त करने लगे हैं। अस्पताल में स्टाफ के अलावा इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की कमी भी आड़े आने लगी है। वहीं अस्पताल के ब्लड बैंक में खून की कमी भी आड़े आने लगी हैं। अस्पताल में वायरल के मरीजों के लिए रोजाना 6 एसडीपी और 10 पीआरपी तैयार करवा रहे है।
फगवाड़ा से संदिग्ध डेंगू की मरीज सुनीता मेडिकल फीमेल वार्ड में दाखिल है। उनके परिजनों का कहना है कि मरीज पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ और डॉक्टर उन्हें छुट्टी देकर घर भेजने का दबाव बना रहे हैं। वहीं महज एक गोली देकर इलाज करने का दावा किया जा रहा है।
मरीज सीता रानी का कहना है कि डाक्टरों ने उसे आते ही बिना चेक किए कहा कि आप बिल्कुल ठीक हैं और घर जाकर आराम करें जबकि उनकी हालत इतनी खराब थी कि वह पूरी तरह से चल भी नहीं पा रही थी। जब हलका विरोध किया तो डाक्टरों ने उसे दाखिल कर इलाज शुरू किया।
डायलसिस की सेवाएं प्रभावित
सिविल अस्पताल में आर्थिक मंदी के चलते डायलसिस करवाने वालों के लिए सामान की सप्लाई न आने की वजह से कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है। राज्य सरकार ने किडनी रोगियों के लिए सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया करवाई थी, जो आर्थिक तंगी के चलते बंद हो गई है। सिविल अस्पताल में रोजाना 5 से 7 डायलसिस किए जाते हैं। सेवाएं ठप्प होने की वजह से मरीजों को निजी सेंटरों में 3 से 4 हजार रुपये खर्च कर डायलसिस करवाना पड़ रहा है।
फंड तो है पर खर्च करने के अधिकार नहीं दिए :डॉ: त्रिलोचन
सिविल अस्पताल के कार्यकारी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. त्रिलोचन ¨सह का कहना है कि अस्पताल में फंड तो है लेकिन सेहत विभाग ने उसे खर्च करने के अधिकार नहीं दिए हैं। इसकी वजह से डीलर सप्लाई देने से कन्नी कतरा रहे हैं। सेहत विभाग ने सिविल सर्जन को फंड का इस्तेमाल करने के अधिकार जारी कर दिए हैं। सोमवार से समस्याओं का समाधान होने के आसार हैं।