अफसरों ने मूंद ली आंखें, जालंधर रोडवेज ऑफिस के ठीक सामने चल रहा अवैध बस स्टैंड
जालंधर में बस माफिया बुरी तरह हावी है। अवैध बसों की बुकिंग ऑनलाइन हो रही है। वे रोडवेज से कम किराया रखकर सरकार को भी चूना लगा रहे हैं।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। अफसरशाही की नाक तले महानगर में अवैध बसों का संचालन धड़ल्ले से चल रहा है। अधिकारी यदा-कदा जुर्माना कर अपनी जिम्मेदारी निभाने का दावा करते हैं और बाद में आंखें मूंद कर बैठ जाते हैं। निजी बस ऑपरेटरों की मनमानी का आलम यह है कि पंजाब रोडवेज कार्यालय के बिल्कुल सामने अवैध बस स्टैंड बन गया है। यहां से रोजाना जयपुर, बीकानेर, दिल्ली, लखीमपुर खीरी के लिए अवैध बसें चलाई जा रही हैं।
बस माफिया किस कदर हावी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अवैध बसों की बुकिंग ऑनलाइन हो रही है। वे पंजाब रोडवेज के किराये की तुलना में डिस्काउंट देकर यात्रियों को अपनी तरफ आकर्षित भी कर रहे हैं। जालंधर की मोता सिंह नगर मार्केट में इस समय आधा दर्जन से ज्यादा बस बुकिंग के काउंटर खुल चुके हैं। यहां पर दिन भर टिकट बुक की जाती है। पंजाब रोडवेज के अधिकारी माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार ना होने का तर्क देकर अपनी ही कमाई को लुटता हुआ देख रहे हैं और सारी जिम्मेदारी सचिव रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी कार्यालय पर डाल रहे हैं।
यात्री की टिकट बुक करने के लिए संबंधित बस ऑपरेटर के पास स्टेज कैरिज परमिट होना जरूरी है। यह परमिट होने पर उसे बस स्टैंड के काउंटर से तय समय में यात्री बिठाने की अनुमति भी मिलती है। बस माफिया बिना स्टेज कैरिज परमिट के ही एक-एक यात्री की टिकट बुक कर रहा है। ऐसा सामान भी एक से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है, जिसका कोई बिल नहीं होता है।
इंटर स्टेट बॉर्डर धड़ल्ले से क्रॉस कर रही अवैध बसें
हैरानी इस बात की भी है कि जालंधर से चलने वाली तमाम अवैध बसें एक या दो राज्यों के बॉर्डर भी क्रॉस करती हैं। साधारण व्यक्ति को कोविड-19 संक्रमण के चलते कई तरह की दस्तावेजी कार्रवाई को पूरा करना पड़ता है पर इनकी कोई चेकिंग नहीं करता है।
ट्रांसपोर्ट विभाग को कार्रवाई करने को कहेंगेः जीएम रोडवेज
पंजाब रोडवेज जालंधर के जनरल मैनेजर नवराज बातिश ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि गढ़ा रोड मोता सिंह नगर से चलने वाली बसें अवैध हैं और यह प्रति यात्री टिकट की बुकिंग नहीं कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि रोडवेज के पास इस पर सीधे कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। समय-समय पर ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों को अवैध परिचालन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा जाता है। जून में भी ऐसी बसों के ऊपर लगभग 2 लाख रुपये का जुर्माना किया गया था। बावजूद इसके अवैध परिचालन बंद नहीं हुआ है।