स्वाद जालंधर दाः इस रेहड़ी पर 12 महीने लगती है जलजीरा पीने वालों की भीड़
विवेक ने बताया कि वह मिर्च से लेकर आमचूर और पुदीना से लेकर जीरा व लौंग सहित सभी साबुत मसाले खरीदकर लाते हैं। खुद पीसते हैं और फिर जलजीरा तैयार करते हैं।
जालंधर [शाम सहगल]। एक तरफ सिटी रेलवे स्टेशन व दूसरी तरफ अड्डा होशियारपुर चौक से किशनपुरा की तरफ जाने के लिए सबसे सरल मार्ग इकहरी पुली को पार करते ही नजर सामने लगी जलजीरे की रेहड़ी पर पड़ती है। इसके साथ ही मुंह में पानी आना स्वाभाविक है। जलजीरे की रेहड़ी से उठती महक इसका स्वाद चखने को मजबूर कर देती है। सर्दी में लोग चाय, कॉफी या फिर सूप की चुस्कियां लेना पसंद करते हैं लेकिन यहां इन दिनों में भी भीड़ आम है। पिछले 50 वर्षों से शहरवासियों को लुभा रहा इकहरी पुली का जलजीरा जिले से बाहर भी मशहूर हो चुका है।
खुद तैयार करते हैं मसाला
जलजीरा की रेहड़ी लगाने वाले गोवर्धन दास के बेटे विवेक कुमार बताते हैं कि उन्होंने कभी भी बाजार से पिसे हुए मसाले खरीद कर इस्तेमाल नहीं किए। मिर्च से लेकर आमचूर और पुदीना से लेकर जीरा व लौंग सहित सभी साबुत मसाले वे खरीदकर लाते हैं। खुद पीसते हैं और फिर जलजीरा तैयार करते हैं।
50 वर्ष से बना है शहरवासियों का स्वाद
गोवर्धन दास बताते हैं कि वह पिछले 50 वर्ष से वह इकहरी पुली पर रेहड़ी लगाकर जलजीरा बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब बेटा विवेक उनका साथ दे रहा है। कई ग्राहक पीढ़ी दर पीढ़ी उनके जहां जलजीरा का स्वाद लेने आते हैं।
हेल्दी है यह जलजीरा
गोवर्धन दास बताते हैं कि कई बार लोग वैद्य-हकीम की सलाह पर भी उनके यहां जलजीरा पीने आते हैं। कारण उन्होंने कभी जलजीरा तैयार करने में अरारोट, इमली, तीखी मिर्च या फिर तेज मसालों का इस्तेमाल नहीं किया है। बल्कि पुदीना, हरी मिर्च, आमचूर, नींबू छोटी इलायची, लौंग, जीरा, काली मिर्च व मघां आदि से जलजीरा तैयार करते हैं। वह बताते हैं कि कई बार तो खांसी व रेशे का शिकार लोग भी जलजीरा पीने के लिए उनके यहां आते हैं। इसके सेवन के बाद वे स्वास्थ्य में सुधार भी महसूस करते हैं।
काली गाजर की कांजी भी खास
विवेक बताते हैं कि काली गाजर पाचन शक्ति और इम्यूनिटी के लिए लाभदायक बताई जाती है। मंडी में काली गाजर की आमद कम होती है लेकिन सीजन में काली गाजर की कांजी भी उनकी रेहडी की पहचान बन चुकी है।
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