पाकिस्तान की जेलों में हिंदू कैदियों का होता है उत्पीड़न, थर्ड डिग्री टॉर्चर से बना देते हैं विक्षिप्त
पाकिस्तान में हिंदू कैदियों का उत्पीड़न किया जा है। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। हिंदू कैदी जब भारत वापस आते हैं तो वह मानसिक सुधबुध खोए रहते हैं। कल ही लौटे कैदी भी अपनी सुधबुध खो बैठा है।
जेएनएन, छेहरटा [अमृतसर]। पाकिस्तान की जेलों में हिंदू कैदियों का जबरदस्त उत्पीड़न किया जाता है। हिंदू कैदियों का इतना मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया जाता है कि वे अपनी सुध-बुध ही भूल जाते हैं। उन्हें न तो अपने परिवारिक सदस्यों की जानकारी रहती है और न ही अपने शहर का नाम।
ऐसा ही उदाहरण उस समय सामने आया जब पाकिस्तान की जेल से रिहाई के बाद मंगलवार की देर सायं पाक रेंजर्स ने एक हिंदू कैदी को वाघा-अटारी सीमा पर बीएसएफ के सुपुर्द किया। वह खोया-खोया रहता है और इस दुनिया में मिर्जापुर में सिर्फ एक अंकल होने की बात करता है। हालांकि पाकिस्तान सरकार विशेष धर्म के कैदियों को मेहमानों की तरह रखती है। कई सालों तक सजा काटने के बाद भारत लौटने पर वे मानसिक और शारीरिक तौर पर बिल्कुल फिट दिखते हैं।
उत्तर प्रदेश के जिला मिर्जापुर के थाना कटरा के गांव हरिजन बस्ती चौकी घाट के 35 वर्षीय पनवासी लाल पुत्र कन्हैया लाल उर्फ कुंदन लाल को पाक रेंजर्स ने कल सायं अटारी सीमा पर बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के अधिकारियों के हवाले किया। जहां से उसका इमीग्रेशन और पासपोर्ट चेक करने के बाद अटारी के नायब तहसीलदार जगसीर सिंह के सुपुर्द कर दिया, जिन्होंने पनवासी लाल को देर रात छेहरटा के नारायणगढ़ स्थित कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में क्वारंटाइन कर दिया, जहां अगले कुछ दिनों में उसका कोविड सैंपल लिया जाएगा।
दैनिक जागरण के प्रतिनिधि ने जब क्वारंटाइन सेंटर नारायणगढ़ में पनवासी लाल के साथ बात करने का प्रयास किया, पहले तो वह डर गया फिर बुदबुदाया कि इस दुनिया में उसका कोई नहीं। वह बनारस से घूमने आया है। चार महीने पाकिस्तान में एक क्वार्टर में रहा। उसके चेहरे पर दहशत देख कर लगता है कि पाकिस्तान की जेल में उसका बहुत उत्पीड़न किया गया है। उत्पीड़न से मानसिक तौर पर वह इतना कमजोर हो गया है कि बात करने का प्रयास करने के बाद भी बात नहीं कर पाता।
सतीश भोग इतना विक्षिप्त हो चुका है कि उसे पता नहीं कि वह कहां है
26 अक्टूबर 2020 को चार अन्य कैदियों के साथ पाकिस्तान की जेल से रिहाई के बाद भारत लौटा सतीश भोग इतना विक्षिप्त हो चुका है कि उसे पता नहीं कि वह कहां है। वह सुधबुध खो बैठा है। वह कहां गया और कैसे पाकिस्तान पहुंचा बारे कोई जानकारी नहीं। इसके साथ लौटे उत्तर प्रदेश के ललितपुर के सोनू सिंह का भी करीब डेढ़ माह तक एेसा ही हाल रहा। लेकिन अब वह कुछ सामान्य होने के बाद अपने घर की बात करता है।