पटेल अस्पताल की याचिका पर टीपी स्कीम और नगर निगम की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट का स्टे Jalandhar News
कैमिस्टों और पटेल अस्पताल में सड़क को लेकर शुरू हुए विवाद में अस्पताल की याचिका पर हाईकोर्ट ने नगर निगम की टीपी स्कीम पर स्टेट्स-को कर दिया है।
जालंधर, जेएनएन। कैमिस्टों और पटेल अस्पताल में सड़क को लेकर शुरू हुए विवाद में अस्पताल की याचिका पर हाईकोर्ट ने नगर निगम की टीपी स्कीम पर स्टेट्स-को कर दिया है। इसके साथ ही पटेल अस्पताल की याचिका स्वीकार होने से सिविल लाइन्स वेलफेयर सोसायटी के कई सदस्यों, इलाके के दुकानदारों के लिए भी मुसीबत खड़ी हो सकती है।
पटेल अस्पताल ने अपनी याचिका में कहा है कि क्या टीपी स्कीम सिर्फ पटेल अस्पताल के लिए है। टीपी स्कीम के नियमों का उल्लंघन करके सिविल लाइन्स में कई कामर्शियल इमारतें बनी हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। माननीय अदालत ने कहा है कि जब तक इस मामले में यह तय नहीं हो जाता कि टीपी स्कीम के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए अस्पताल को मुआवजा दिया गया या नहीं तब तक टीपी स्कीम के तहत कोई भी कार्रवाई नहीं होगी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सड़क, अवैध निर्माण और पार्क के मुद्दे पर अगली कार्रवाई तब तक नहीं हो पाएगी, जब तक टीपी स्कीम को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती। कोर्ट में अगली सुनवाई फरवरी में होगी और अब मामला लंबा खिंचना तय है। कोर्ट में निगम को बताना होगा कि जब टीपी स्कीम लागू की गई थी तो जिन लोगों से जमीन ली गई थी उन्हें उसका मुआवजा दिया गया या नहीं।
पटेल अस्पताल ने भी यही मुद्दा उठाया है कि जिस जमीन को सड़क बताया जा रहा है उसे अगर एक्वायर किया गया तो उसके लिए मुआवजा किसे दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि है कि टीपी स्कीम को लेकर जितने भी सवाल हैं वह स्पष्ट होने के बाद रिपोर्ट दी जाए। उसके बाद ही अगली कार्रवाई तय होगी। तब तक टीपी स्कीम और नगर निगम की रिपोर्ट पर स्टे रहेगा। गौर हो कि दो महीने पहले पटेल अस्पताल के खिलाफ कैमिस्टों की शिकायत पर सड़क बताई गई जमीन का कब्जा छुड़ाने के लिए कार्रवाई की गई थी जिसे लेकर खूब हंगामा हुआ था। इस मामले में दुकानदारों के समर्थन में विधायक राजिंदर बेरी और मेयर जगदीश राजा को भी धरना देना पड़ा था। हालांकि बाद में सीएम ऑफिस से निगम की जांच पर रिपोर्ट भी मांगी गई थी। मामले के हल के लिए सभी पक्षों की 10 सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई थी।
पटेल अस्पताल का एतराज, सिविल लाइन्स सोसायटी के सदस्यों के हैं अवैध निर्माण
हाईकोर्ट में पटेल अस्पताल ने अपनी याचिका में कहा है कि सिविल लाइन्स वेलफेयर सोसायटी के जो मुख्य मेंबर उनके खिलाफ टीपी स्कीम को लेकर शिकायतें कर रहे हैं वह खुद टीपी स्कीम के नियमों को तोड़ने वाले हैं। इनमें से कई सदस्यों ने रिहायशी निर्माण करते समय हाउस लाइन की जगह नहीं छोड़ी और रेजिडेंशियल प्लॉट पर दुकानें बना ली हैं। जो दवा कारोबारी सड़क की मांग को लेकर उन्हें परेशान कर रहे हैं उनकी दुकानों की भी जांच हो कि वह किसकी मंजूरी से बनीं और क्या टीपी स्कीम के तहत मंजूरशुदा हैं। पटेल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. स्वपन सूद ने कहा कि स्काईलार्क चौक से ज्योति चौक मार्ग पर दाएं हाथ टीपी स्कीम की जमीन पर कई कामर्शियल इमारतें बन गई हैं। इनके खिलाफ पटेल अस्पताल की शिकायत पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।
यह है मामला
दवा कारोबारी पटेल अस्पताल के बीच से रास्ता मांग रहे हैं। इनके मुताबिक टीपी स्कीम में दिखाए गए रास्ते पर पटेल अस्पताल का कब्जा है। पटेल अस्पताल का दावा है कि अस्पताल का नक्शा 1979 में पास हुआ है। टीपी स्कीम इसके आठ साल बाद बनी। जब टीपी स्कीम बनी तब तक अस्पताल बन चुका था। ऐसे में टीपी स्कीम में गलती है और इसमें बदलाव होना चाहिए। इसे लेकर दोनों पक्षों को लेकर पुलिस, प्रशासन और नगर निगम कई मी¨टग कर चुका है लेकिन हल नहीं निकल रहा।
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