प्रदूषित वातावरण से सूख रहा गला व नाक, मरीजों की संख्या बढ़ी
पराली जलने से प्रदूषित हुए वातावरण के कारण मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ज्यादा मरीज सूखी खांसी व गले की खारिश के आ रहे हैं।
कमल किशोर, जालंधर
पराली जलने से प्रदूषित हुए वातावरण के कारण मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ज्यादा मरीज सूखी खांसी व गले की खारिश के आ रहे हैं। नवंबर के बाद से सरकारी व निजी अस्पतालों में 15 फीसद तक मरीजों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सक मानते है कि पटाखे व पराली जलने से निकलने वाली जहरीली गैसें सल्फर डाइआक्साइड व नाइट्रोजन हवा में घुल चुकी है। हवा में घुलने से व्यक्ति सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर रही है जो सूखी खांसी व गले की खारिश की समस्या को दावत दे रही है। इसका असर फेफड़ों व दिल पर पड़ रहा है। सूखी खांसी के साथ-साथ लोगों की नाक भी सूख रही है। नाक के अंदर खारिश के मामले भी बढ़े है। चिकित्सक मानते है कि नाक की झिल्ली में जब हवा नमी कम हो जाती है और हीटर का अधिक प्रयोग करते है तो नाक में सूखापन आ जाता है। अगर समय पर इलाज न करवाया जाए तो नाक में खून आने की समस्या से जूझना पड़ सकता है।
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सूखी खांसी को ऐसे करें दूर
-गर्म पानी या हर्बल चाय में शहद का सेवन करें।
-शहद में अदरक के रस को मिलाकर दिन में दो-तीन बार खा सकते है।
-शहद में तुलसी का सेवन भी कर सकते है।
-तुलसी की चार पांच पत्तियां गर्म पानी में डालकर पी सकते है।
- स्टीम ले सकते हैं।
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गर्म पानी पीते रहें, काफी सुधार होगा
नीमा जालंधर के अध्यक्ष डा. सतीश शर्मा ने कहा कि प्रदूषित वातावरण के कारण सांस लेने वाले मरीजों के साथ-साथ सूखी खांसी व गले की खारिश के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है। सूखी खांसी होने पर घरेलू उपाय कर इससे कुछ हद तक निजात पा सकते हैं। अगर निजात न मिले को डाक्टर से संपर्क करें।
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बारिश के बाद बदलेगी आबो-हवा
डा. परविदर बजाज ने कहा कि प्रदूषित वातावरण चिता का विषय है। जब तक बारिश नहीं होती तब तक लोग सूखी खांसी, गले में खारिश, सूखी नाक की समस्या से जूझते रहेंगे। प्रदूषित वातावरण से मरीज विभिन्न बीमारियों से घिर चुके है।